ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

अहंकार" किसके लिए.

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"सेवा करनी है तो, घड़ी मत देखो !
प्रसाद लेना है तो, स्वाद मत देखो !
सत्संग सुनाना है तो, जगह मत देखो !
बिनती करनी है तो, स्वार्थ मत देखो !
समर्पण करना है तो, खर्चा मत देखो !
रहमत देखनी है तो, जरूरत मत देखो !!

"जीत" किसके लिए, हार' किसके लिए, 
'ज़िंदगी भर' ये 'तकरार' किसके लिए.. 
जो भी 'आया' है वो 'जायेगा' एक दिन यहाँ से ,फिर ये इंसान को इतना "अहंकार" किसके लिए..
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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