पार्श्वनाथ भगवान को जब कमट
देव ने भयंकर जल उपसर्ग किया तब धरणेन्द्र देव एवं पदमावती देवी ने स्वयं अवधिज्ञान से देखा कि जिस उपकारी पार्श्वनाथ ने काष्ठ में जलते हुए हमें बचाया था एवं नमस्कार महामंत्र का श्रवण करवाया और हम पाताल वासी देव और देवी बने ।
देव ने भयंकर जल उपसर्ग किया तब धरणेन्द्र देव एवं पदमावती देवी ने स्वयं अवधिज्ञान से देखा कि जिस उपकारी पार्श्वनाथ ने काष्ठ में जलते हुए हमें बचाया था एवं नमस्कार महामंत्र का श्रवण करवाया और हम पाताल वासी देव और देवी बने ।
जल में कमलासन में नाग नागीन छत्र फर्ण बनाकर प्रभु की सेवा में हाजिर हुए। पदमावतीमाता, लक्ष्मी और सौभग्य देने वाली एवं सभी भक्तों को सुख करने वाली माता है।
जो भक्त माता की सच्चे मन से, जप से, त्याग से, माता की भक्ति करता है, उसे आशीर्वाद प्रदान करती है।
पदमावती माता वर्तमान में जागृत देवी है, सम्यकत्वधारी एकावतारी माता है। इसलिए हमें प्रतिदिन पदमावती स्त्रोत, चालीसा, जप मंत्र कथा एवं शुक्रवार को एकासन करना चाहिए ।
चमत्कारी माँ पदमावती देवी परिचय
पार्श्वनाथ भगवान को जब कर्मठ सन्यासी ने भयंकर जल उपसर्ग किया तब धरणेन्द्र देव एवं पदमावती देवी ने स्वयं अवधिज्ञान से देखा कि जिस उपकारी पार्श्वनाथ ने काष्ठ में जलते हुए हमें बचाया था एवं नमस्कार महामंत्र का श्रवण करवाया और हम पाताल वासी देव और देवी बने ।
जल में कमलासन में नाग नागीन छत्र फर्ण बनाकर प्रभु की सेवा में हाजिर हुए। पदमावतीमाता, लक्ष्मी और सौभग्य देने वाली एवं सभी भक्तों को सुख करने वाली माता है।
जो भक्त माता की सच्चे मन से, जप से, त्याग से, माता की भक्ति करता है, उसे आशीर्वाद प्रदान करती है।
पदमावती माता वर्तमान में जागृत देवी है, सम्यकत्वधारी एकावतारी माता है। इसलिए हमें प्रतिदिन पदमावती स्त्रोत, चालीसा, जप मंत्र कथा एवं शुक्रवार को एकासन करना चाहिए ।
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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