🙏 अभक्ष्य के त्याग हेतु चिन्तनीय - करणीय बिंदु -
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जो खाने / भक्षण करन् योग्य न हो, उसे अभक्ष्य कहते है |
अभक्ष्य भोजन श्रावक जीवन की गरिमा के प्रतिकूल है |
अभक्ष्य भोजन से अनेक त्रस एंव स्थावर जीवों की हिंसा होती है
अभक्ष्य पदार्थ बुद्धि को विकृत करते हैं
अभक्ष्य भोजन शरीर को बीमार करते है
अभक्ष्य पदार्थ विकार व वासना को उतेजित करते है
अभक्ष्य भोजन आत्मा को दुर्गति में ले जाते है
अभक्ष्य भोजन आत्मा को दुर्गति में ले जाते है
अभक्ष्य पदार्थ का सर्वथा त्याग करना चाहिये
अभक्ष्य के २२ प्रकार
अभक्ष्य के २२ प्रकार
जैन परम्परा के अनुसार निम्न २२ अभक्ष्यो के नाम इस प्रकार है :१. ओला (बरसात का ओला ) २. घोल बड़ा (द्विदल ) ३. रात्रि भोजन ४. बहुबीजा (खस खस, ऐसा केला जिसमे बीज निकलता है आदि ) ५. बैंगन ६. आचार मुरब्बा ७. बड का फल ८. पाकर का फल ९. पीपल का फल १०. कठूमर फल ११. गूलर का फल ( जिस वृक्ष को तोड़ने से दूध सरीखा रस निकलता है ये उपरोक्त ५ फल है ) १२. अनजान फल 13. कंदमूल (आलू अदरक प्याज लहसन मूली आदि जमीकंद ) १४. मिट्टी १५. विष १६. मांस १७ मधु (शहद ) १८ मक्खन (अमर्यादित मक्खन अभक्ष्य है ) १९. मदिरा (शराब) २०. तुच्छ फल (छोटी ककडी, छोटी कैरी, छोटी भिन्डी, आदि जिनमे छोटा छोटा रवा होता है .) २१. चलित रस (तेल, घी, आदि के रस का स्वाद और गंध यदि बिगड़ जाए तो वह चलित रस हो जाता है ) २२. तुषार (ओस, बरफ, आदि )
BEST REGARDS:-
ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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