ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

रावण पार्श्वनाथ दादा अलवर

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8 में प्रतिवासुदेव रावणे प्रतिमा भराई थी। प्रतिमाजी वेळु की बनाई थी। मंदोदरी के शियल के प्रभाव से प्रतिमा वज्रमय बन गई। 

पूजा किये बिना भोजन नहि करुं , ऐसी रावण की द्रढ प्रतिज्ञा के पालन के लिये प्रतिमा का निर्माण रावणने किया था। तब से ये तीर्थ हुआ है। अभी प्रतिमाजी मूल नहि है , प्राचीन है। 


BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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