ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

पालिताणा तिर्थ की चढती

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पालिताणा तिर्थ की चढती
वंथली नगर में धर्म प्रेमी सवचंद नामका शेठ रहते थे देश विदेश में शेठ का बडा कारोबार था और उनकी बडी प्रतिष्ठा थी
एक बार समाचार मिला की शेठ सवचंद की स्टीमरे समुद्र में डूब गईं हैं यह समाचार सुनते लेनदारो का तांता लगा शेठ ने अपना सब कुछ बेचकर करज चुकाया ..
तब एक लेनदार अपना पैसा लेने आया तब शेठ के पास कुछ नहीं बचा था सवचंद शेठ ने विचार किया इसको रकम वापस नहीं दुगा तो लोगों जैन धर्म की निंदा करेगे तब उनको को याद आया कि अहमदाबाद के शेठ सोमचंद धर्म प्रेमी है वो मेरी लाज रखेगा
यह विचार आते सवचंद शेठ ने सोमचंद शेठ पर ध्रुजते हाथ एक लाख रुपये की हुडी लिख डाली और यह लिखते उनकी की आंखो में से दो बुंद हूडी पर गिर पडे ..
हुडी लेकर लेनदार सोमचंद शेठ के पास पहुंचा हुडी लिखने वाला की शेठ को कोई पहचान नही थी ना उनकी कोई लेन देन यह विचार करते सोमचंद शेठ ने हुडी के अक्षर और दो आंसू के बुद देख कर वो समझ गये कि कोई सार्धमिक तकलीफ मे है और इनकी आबरू बचाना मेरा कर्तव्य है यह सोच शेठ ने लेनदार को एक लाख रुपये चुका कर खर्च खाते लिख दिया ...
थोडे टाइम के बाद सवचंद शेठ की स्टीमरे किनारे पर आइ और इस मेसे शेठ को लाखो का मुनाफा हुआ ..
रकम हाथ में आते ही सवचंद शेठ अहमदाबाद आये और सोमचंद शेठ के पास व्याज सहित रूपये रख आबरू बचाने के लिए आभार व्यक्त किया तब सोमचंद शेठ ने रकम लेने का इनकार करते हुए कहा कि मेरे खाते में आपके पास कोई करज नही है
आखिर दोनों ने समंति से दुसरी रकम डाल कर श्री शत्रुजय गीरी पर एक जिनालय बनाने का फैसला किया और भव्यता ती भव्य जिनालय का निर्माण करा कर दोनो ने महा पुण्य ऊर्पाजन किया
आज भी सार्धमिक भक्ति की गाथा सुनाती यह जिनालय की टुक को हम चौमुखी जी की टुक के नाम से विधमान है
दोनो सुश्रावकों की अनुमोदना ..
ચૌમુખજીની ટૂંક(સવા-સોમાની ટૂંક):-
આ ટુંકની લંબાઈ ૨૭૦*૧૧૬ ફૂટની છે.
ચોકની મધ્યમાં શ્રી ચતુર્મુખ આદિનાથ ભગવાનનું જિનાલય છે
આ ટુંકમાં ૧૧ મોટા દેરાસરો છે.ભમતીમાં ૭૪ દેરીઓ છે.બધા મળીને ૭૦૨ પ્રતિમાજી છે.
સવાસોમાની ટૂંક એ માત્ર જિનભક્તિનો જ નહીં,પરંતુ સાધર્મિકભક્તિનો આદર્શ પણ રજુ કરે છે.

BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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