*दीपावली पर्व का जैन दर्शन में महत्व एवं मनाने की विधि-*
दीपावली पर्व का श्रमण संस्कृति (जैनियों)में महत्व एवं मनाने की विधि-
जैनागमानुसार,पर्व दो प्रकार के,शाश्वत एवं तात्कालिक होते हैं!
अष्टाह्निका पर्व दसलक्षण,
अष्टमी,चतुर्दशी आदि शाश्वत पर्व है,अनादिकाल से मनाये जा रहे है और अनन्त काल तक मनाये जाते रहेंगे!
महावीर जन्मकल्याणक,अक्षय तृतिया,श्रुतपंचमी,दीपावली,आदि घटना विशेष से संबंधित होने के कारण तत्कालिक पर्व है!
दीपावली पर्व को श्रमण संस्कृति के अनुयायी जैन,२४वे तीर्थंकर भगवान महावीर के मोक्ष प्राप्ति के उपलक्ष में कार्तिक कृष्ण अमावस्या को मंदिर जी में प्रात: भगवान महावीर के अभिषेक,पूजन आदि कर उन्हें निर्वाण लड्डू /गोला अर्पित कर मनाते है!
इस दिन भगवान महावीर ने योग निरोध कर शेष कर्म प्रकृतियों का क्षय,पावापुरी(वर्तमान जल मंदिर) में शुक्लध्यान में ध्यानस्थ होकर किया और प्रात:(लगभग ५ बजे) मोक्ष लक्ष्मीका वरन किया!इसी दिन संध्याकाल में गणधर इंद्रभूति गौतम देव ने केवलज्ञान प्राप्त किया इसलिए संध्या में भगवान महावीर और गणधरदेव की आरती कर दीपावली पर्व मनाया जाता है!
हमे अत्यंत हर्षोहल्लास के साथ,गतवर्षों की भांति अहिंसा के महान उपदेशक भगवान महावीर के निर्वाण कल्याणक के उपलक्ष में दीपावली,ध्यान रखते हुए, मनानी चाहिए कि हम कही जाने अनजाने में उनके उपदेशों की अवहेलना कर पाप कर्म अर्जित कर मिथ्यात्व की पुष्टि तो नहीं कर रहे है इसके लिए निम्न का ध्यान अवश्य रखना चाहिए!
जैनागमानुसार,पर्व दो प्रकार के,शाश्वत एवं तात्कालिक होते हैं!
अष्टाह्निका पर्व दसलक्षण,
अष्टमी,चतुर्दशी आदि शाश्वत पर्व है,अनादिकाल से मनाये जा रहे है और अनन्त काल तक मनाये जाते रहेंगे!
महावीर जन्मकल्याणक,अक्षय तृतिया,श्रुतपंचमी,दीपावली,आदि घटना विशेष से संबंधित होने के कारण तत्कालिक पर्व है!
दीपावली पर्व को श्रमण संस्कृति के अनुयायी जैन,२४वे तीर्थंकर भगवान महावीर के मोक्ष प्राप्ति के उपलक्ष में कार्तिक कृष्ण अमावस्या को मंदिर जी में प्रात: भगवान महावीर के अभिषेक,पूजन आदि कर उन्हें निर्वाण लड्डू /गोला अर्पित कर मनाते है!
इस दिन भगवान महावीर ने योग निरोध कर शेष कर्म प्रकृतियों का क्षय,पावापुरी(वर्तमान जल मंदिर) में शुक्लध्यान में ध्यानस्थ होकर किया और प्रात:(लगभग ५ बजे) मोक्ष लक्ष्मीका वरन किया!इसी दिन संध्याकाल में गणधर इंद्रभूति गौतम देव ने केवलज्ञान प्राप्त किया इसलिए संध्या में भगवान महावीर और गणधरदेव की आरती कर दीपावली पर्व मनाया जाता है!
हमे अत्यंत हर्षोहल्लास के साथ,गतवर्षों की भांति अहिंसा के महान उपदेशक भगवान महावीर के निर्वाण कल्याणक के उपलक्ष में दीपावली,ध्यान रखते हुए, मनानी चाहिए कि हम कही जाने अनजाने में उनके उपदेशों की अवहेलना कर पाप कर्म अर्जित कर मिथ्यात्व की पुष्टि तो नहीं कर रहे है इसके लिए निम्न का ध्यान अवश्य रखना चाहिए!
१-पूजन का जैन दर्शन में सूर्योदय से अंतर्मूहूर्त पूर्व निषेध है,बहुत सी जगह इसका ध्यान नही रखा जाता जो की अनुचित है!पूजन के पश्चात निर्वाण लड्डू,जो चढाते है उसकी अच्छे से व्यवस्था करके जीवों की हिंसा से बचना चाहिए!
२-आतिशबाज़ी का उपयोग नहीं कर,हम अनावश्यक रूप से होने वाले अग्निकायिक,वायुकायिक जीवों की हिंसा से,पशुओं/बच्चो को भयभीत होने से तथा संभावित दुर्घटनाओं से बच सकते है!सभी अर्थार्जन अत्यंत परिश्रम से करते है,इस प्रकार,अर्थ की चंद घंटों में होने वाली अनावश्यक आहुति से हम बच सकेगें!
३-आरती के लिए घरों में दीपावली सजाते समय,भगवान के समवशरण के प्रतीक के रूप में चित्र से अलंकृत किया जाता है!उसमे अन्य मतियों के देवी देवताओं को स्थापित नहीं करना चाहिए क्योकि इनसे मिथ्यात्व का पोषण होता है!जैन दर्शन में लक्ष्मी की धन के रूप में अन्य मतियों की भांति पूजन नही करी जाती है,पूजन मोक्ष लक्ष्मी की करी जाती है!हम सरस्वती की पूजा श्रुत/केवलज्ञान की पूजा के रूप में करते हैं!कुछ श्रावक चांदी के सिक्कों को दूध में भीगा कर चीनी के साथ मिलाकर,चरणामृत बनाकर सेवन करते है,इससे बचना चाहिए,यह बिलकुल मिथ्यात्व क्रिया है!
४-भगवान की आरती,घर में निर्मित शुद्ध घृत से,दीपक प्रज्वलित करना चाहिए जिससे नकारात्मता घर में प्रवेश नहीं करेगी।
५-अनावश्यक रूप से कोई भी कार्य नहीं करे नहीं तोअनावश्यक पाप बंधेगा!
सारांशत:हमें दीपावली अत्यंत शालीनता से,जीवों की हिंसा से बचते हुए,उत्साहपूर्वक मनानी चाहिए,तभी हम भगवान महावीर के उपदेशों को अंगीकार करते हुए उनके तीर्थ की प्रभावना में सहयोगी होकर अपना कल्याण करने में सामर्थ्यवान होगे!
सभी को मेरी ओर से भगवान महावीर का २५४५ वां निर्वाण कल्याणक मंगलमय,कल्याण कारी और शुभ हो!
अग्रिम शुभ दीपावली।
*🔴जैनम् जयतु शासनम् वंदे श्री वीरशासनम्🔴*
२-आतिशबाज़ी का उपयोग नहीं कर,हम अनावश्यक रूप से होने वाले अग्निकायिक,वायुकायिक जीवों की हिंसा से,पशुओं/बच्चो को भयभीत होने से तथा संभावित दुर्घटनाओं से बच सकते है!सभी अर्थार्जन अत्यंत परिश्रम से करते है,इस प्रकार,अर्थ की चंद घंटों में होने वाली अनावश्यक आहुति से हम बच सकेगें!
३-आरती के लिए घरों में दीपावली सजाते समय,भगवान के समवशरण के प्रतीक के रूप में चित्र से अलंकृत किया जाता है!उसमे अन्य मतियों के देवी देवताओं को स्थापित नहीं करना चाहिए क्योकि इनसे मिथ्यात्व का पोषण होता है!जैन दर्शन में लक्ष्मी की धन के रूप में अन्य मतियों की भांति पूजन नही करी जाती है,पूजन मोक्ष लक्ष्मी की करी जाती है!हम सरस्वती की पूजा श्रुत/केवलज्ञान की पूजा के रूप में करते हैं!कुछ श्रावक चांदी के सिक्कों को दूध में भीगा कर चीनी के साथ मिलाकर,चरणामृत बनाकर सेवन करते है,इससे बचना चाहिए,यह बिलकुल मिथ्यात्व क्रिया है!
४-भगवान की आरती,घर में निर्मित शुद्ध घृत से,दीपक प्रज्वलित करना चाहिए जिससे नकारात्मता घर में प्रवेश नहीं करेगी।
५-अनावश्यक रूप से कोई भी कार्य नहीं करे नहीं तोअनावश्यक पाप बंधेगा!
सारांशत:हमें दीपावली अत्यंत शालीनता से,जीवों की हिंसा से बचते हुए,उत्साहपूर्वक मनानी चाहिए,तभी हम भगवान महावीर के उपदेशों को अंगीकार करते हुए उनके तीर्थ की प्रभावना में सहयोगी होकर अपना कल्याण करने में सामर्थ्यवान होगे!
सभी को मेरी ओर से भगवान महावीर का २५४५ वां निर्वाण कल्याणक मंगलमय,कल्याण कारी और शुभ हो!
अग्रिम शुभ दीपावली।
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