हालांकि वृक्ष किसी धर्मविशेष के नहीं होते लेकिन कौन ज्यादा महत्व देता है वृक्षों को इससे उसकी प्रकृति के प्रति प्रेम और जिम्मेदारी का पता चलता है। जैन धर्म शास्त्रों में पर्यावरण को लेकर बहुत कुछ लिखा हुआ है। दुनिया के सभी धर्मों की अपेक्षा सबसे ज्यादा जैन धर्म ने प्राकृति के महत्व को समझा है और सभी को उचित सम्मान दिया है।
पर्यावरण संरक्षण में जैन धर्मावलंबियों का बहुत योगदान रहा है। प्रकृति के इस प्रेम के चलते ही जैन धर्म के प्रमुख 24 तीर्थंकरों से जुड़े हैं 24 ऐसे महत्वपूर्ण वृक्ष जिनका अधिक संख्या में धरती पर होना बहुत जरूरी है। नीचे दिए गए हैं उक्त वृक्षों के नाम।
*ऋषभदेवजी का वृक्ष वट वृक्ष है।
*अजितनाथजी का सर्पपर्ण वृक्ष है।
*सम्भवनाथजी का शाल वृक्ष है।
*अभिनन्दनजी का देवदार वृक्ष है।
*सुमतिनाथजी का प्रियंगु वृक्ष है।
*पद्मप्रभुजी का प्रियंगु वृक्ष है।
*सुपार्श्वनाथजी का शिरीष वृक्ष है।
*चन्द्रप्रभुजी का नाग वृक्ष है।
*पुष्पदन्तजी का साल वृक्ष है।
*शीतलनाथजी का प्लक्ष वृक्ष है।
*श्रेयान्सनाथजी का तेंदुका वृक्ष है।
*वासुपुज्यजी का पाटला वृक्ष है।
*विमलनाथजी का जम्बू वृक्ष है।
*अनन्तनाथजी का पीपल वृक्ष है।
*धर्मनाथजी का दधिपर्ण वृक्ष है।
*शांतिनाथजी का नन्द वृक्ष है।
*कुन्थुनाथजी का तिलक वृक्ष है।
*अरहनाथजी का आम्र वृक्ष है।
*मल्लिनाथजी का कुम्पअशोक वृक्ष है।
*मुनिसुव्रतनाथजी का चम्पक वृक्ष है।
*नमिनाथजी का वकुल वृक्ष है।
*नेमिनाथजी का मेषश्रृंग वृक्ष है।
*पार्श्र्वनाथजी का घव वृक्ष है।
*महावीरजी का साल वृक्ष है।
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
LIKE & COMMENT - https://jintirthdarshan.blogspot.com/
THANKS FOR VISITING.
जैनम जयति शासनम
ReplyDelete