ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

जैन धर्म में दीपावली क्यों मनाई जाती है


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इस अवसप्रिणी काल के चौबीसवें तीर्थंकर श्रमण भगवान महावीर स्वामी जी (Bhagwan Mahaveer Swami Ji) अपने सभी घाती कर्मों (Karma) को नष्ट करके मोक्ष (Moksh) को प्राप्त हुए थे। क्योंकि भगवान महावीर स्वामी जी केवली थे इसलिए उनको पहले से मालुम था की अब उनका
इस संसार को छोड़ने का समय आ गया है इसलिए उन्होंने अपने शिष्य गौतम स्वामी जी (Gautam Swami Ji) को (जिनकी महावीर के प्रति अटूट निष्ठा थी और अपने इसी प्रेम और  मोह के कारण उनको केवल ज्ञान (Keval Gyan) की प्राप्ति नहीं हो पा रही थी) किसी कार्य को पूर्ण करने हेतु अपने से दूर भेज दिया। लेकिन जब कार्य को पूर्ण कर गौतम जी वापिस महावीर जी के पास लौट रहे थे तब उन्हें समाचार मिलता है कि श्रमण भगवान अपना देह त्याग कर मोक्ष को प्राप्त कर गए है।  
यह जानकार गौतम स्वामी जी को बहुत दुःख होता है ,वह सोचते है कि “भगवन ने उनके साथ अच्छा नहीं किया ,उन्होंने जानबूझकर अपने से मुझे दूर कर दिया। आखिर मुझे अपने अंतिम दर्शन भी क्यों नहीं करने दिए ? मैंने उन्हें रोक थोड़े ही न लेना था ?” ऐसे ही गौतम स्वामी जी सोचते ही रहते है ,उनके मन और उनके दिमाग में विचार आने उत्पन्न हो जाते है और फिर उनका मोह टूटता है और उन्हें भी केवल ज्ञान ,केवल दर्शन की प्राप्ति हो जाती है। वो रात  कार्तिक मास की अमावस्या की ही रात थी। घोर अँधेरा छाया हुआ था लेकिन महावीर जी के निर्वाण उत्सव के कारण उसदिन लोगों ने दीये जलाकर अमावस की काली रात को भी रोशनदार कर दिया था। इस दिन भगवान महावीर स्वामी जी को निर्वाण प्राप्त हुआ था और गौतम स्वामी जी को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुयी थी। इसी ख़ुशी के कारण जैन धर्म में दिवाली मनाई जाती है। 

 जैन धर्म के लोग पटाखे क्यों नहीं चलाते ? 

 जैन धर्म का सार ही अहिंसा परमो धर्म है।
जैन जान-बूझकर किसी भी जीव की हिंसा करने से बचते है। जीवन यापन के लिए जो
चीजे/बातें जरूरी है उतनी ही इस्तेमाल करेंगे अन्यथा जिस चीज के बिना रहा
जा सकता है उसका त्याग करेंगे। पटाखे चलाने से अति-सूक्षम जीव और सूक्षम
जीवों की हिंसा होती है इसके इलावा जो जानवर और इंसान भी है उनकी भी सेहत
पर बुरा असर पड़ता है ,इसलिए जैन धर्म के लोग पटाखों से परहेज रखते है।

According to the Jain philosophy, bursting crackers involves violence in the form of eight karmas — gyanavarniya karma (knowledge obstructing karma), darshanavarniya karma (intuition-obstructing karma), antaray karma (energy obstructing karm), mohniya karma (delusion), vedniya karma (karma producing pleasure and pain), ayushya karma (longevity-determining karma), naya karma (physique-determining karma) and gotra karma (status determining karma)

 अगर पटाखे नहीं चलाते तो करते क्या है ? 

दीपावली यह त्यौहार चारों धर्मों में मिलजुलकर प्रेम के साथ मनाया जाता है। 
जैसे की बाकी के लोग दीये जलाकर अपना घर रोशन करते है वैसे ही दीये जलाये जाते है। 
इसके इलावा दीये सिर्फ बाहर के ही नहीं बल्कि मन के अंदर भी दीये जलाये जाते है। अपने द्वारा किये गए पापों को स्मरण करके उसके लिए पश्चाताप के भाव रखते है और आगे से द्वारा ऐसा न करने का निर्णय लेते है। 

शब्दों के अर्थ (Meaning Of Words)

Meaning Of निर्वाण =  मोक्ष की प्राप्ति यानि की जो  जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो गया हो।
Meaning Of केवल ज्ञान = सब कुछ जानने वाला ,जिसे भूत ,भविष्य और वर्तमान का सारा ज्ञान हो जैसे की उन्होंने अपनी आखों से देखा हो।

BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH 
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