यहाँ पर 2600 वर्ष पूर्व सतयुग की श्री आदेश्वर भगवान की अलौकिक श्यामवर्णीय प्रतिमाजी विराजमान है, दक्षिण भारत का यह प्राचीन तीर्थ है, दादा आदिनाथ प्रभु और शत्रुंजय गिरी से सम्बंधित हर अवसर को बड़े ही धूमधाम श्रद्धा से मनाया जाता है।
इसी तीर्थ के प्रांगण में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान का द्विमंजिलय नवनिर्मित अति सूंदर जिनालय है, साथ ही बेसमेंट में आदिनाथ प्रभु की प्रतिमाजी, भक्ताम्बर के श्लोको के साथ मानतुंग आचार्य भगवंत की भी बेड़ियों से जकड़ी प्रतिमाजी है।
यहाँ पर वयोवृद्ध आचार्य भगवंत श्री जयंतसेन सूरीश्वरजी की प्रेरणा से श्री राजेन्द्र गुरुवर ट्रस्ट द्वारा निर्मित "महाविदेह धाम" तीर्थ समान अति मनमोहक श्री बीस विहरमान भगवंतों की प्रतिमाजी एवं प्रभु श्री सीमंधर स्वामीजी की विशाल प्रतिमाजी शोभायमान है, जिनके दर्शन होते ही मन प्रभु भक्ति में रमण करने लगता है। जन जन की श्रद्धा से शोभित दादा गुरुदेव श्रीमद् राजेन्द्र सुरिश्वरजी की भी देहरी साथ में है।
यहाँ पर खरत्तर जैन समुदाय द्वारा परम् पूज्य दादा गुरुवर श्री जिनदत्त सुरिश्वरजी सहित चार गुरुदेवों का सूंदर गुरु-मंदिर शोभायमान है।
और भी मंदिरजी एवं गुरुमन्दिर भी शोभायमान है।
कार्तिक सुदी पूर्णिमा को यहां पर मेले का आयोजन किया जाता। हजारों श्रद्धालु इस पुण्यमयी तीर्थ की यात्रा कर पुण्यार्जन अर्जित करते है।
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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