ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

Namo jinanam

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तेरे चेहरे को कभी भुला नहीं सकता,
तेरी यादों को भी दबा नहीं सकता,
आखिर में मेरी जान चली जायेगी,
मगर दिल में किसी और को बसा नहीं सकता.
हे मेरे दादा मै आपको भूलू नही।।


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होता जो अगर ये मुमकिन ?
तो मै तुजे साँस बनाकर दिल में रखता,
तू रुक जाये तो मै नहीं, मै मर जाऊं तो तू नहीं।।

एक तेरे बगैर ही ना गुज़रेगी ये ज़िंदगी मेरे-पार्श्व,
बता मैं क्या करूँ सारे ज़माने की मोहब्बत ले कर.


मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते मेरे-पारस...
या
तो लोहे की तरह जोड़ दे या फिर धागे की तरह तोड़ दे..

मेरी तुम बेबसी देखो मेरे प्रभु,
मुझे तुम से मुहब्बत के सिवा कुछ भी तो नहीं आता...
नमो जिनानम्...

हे मेरे पारस, लोग कहते है कि 'भगवान' नज़र नही आता,
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एक 'वो' ही तो नज़र आता है, जब कुछ भी नजर नहीं आता.

मुझको रुलाना तो बहुत आसान है तेरे लिए मेरे-प्रभु,
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पर चुप करा सको जो मुझे तो मानू
मैं तुझे..!!
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हे मेरे पारस... अब तो आजा...।।

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एक लम्हा याद करने की गर कीमत हो एक पैसा,
तो सुनो मेरे पारस,मेरे अरबों के क़र्ज़दार हो तुम ..
तुमने जग को पकड़ा है और हमने तुम्हे पकड़ा है..!
तुम उसे छोड़ नहीं सकते और हम तुम्हे छोड़ नहीं सकते..!
बात तो बंधन की है मेरे पार्श्व..!
निभाना तुम्हे भी है और निभाना हमें भी है..!..

BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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