
आणि मन शुद्ध आस्था ,देव जुहारु शाश्वता
चिंतामणि मारी चिंता चूर,पार्श्वनाथ दादा म्हारी चिंता चूर....
चिंतामणि मारी चिंता चूर,पार्श्वनाथ दादा म्हारी चिंता चूर....
अणियाली थारी आँखड़ी
जाणे कामलतणी पांखडी
मुख दीठा दुःख जावे दूर
चिंतामणि म्हारी.......
जाणे कामलतणी पांखडी
मुख दीठा दुःख जावे दूर
चिंतामणि म्हारी.......
को केहने को केहने नमे ,
मारा मन मा तुही गमे
सदा जुहरु उगते सुर ....
चिंतामणि म्हारी.......
मारा मन मा तुही गमे
सदा जुहरु उगते सुर ....
चिंतामणि म्हारी.......
बिछड़िया बालेसर बेल,
वैरी दुश्मन पाछा भेल
तू छे मारा हाज़रा हुज़ूर
चिंतामणि म्हारी......
वैरी दुश्मन पाछा भेल
तू छे मारा हाज़रा हुज़ूर
चिंतामणि म्हारी......
यह स्तोत्र जो मनमें धरे
तेहनो काज सदाई सरे
आधी व्याधि सब जावे दूर
चिंतामणि म्हारी.......
तेहनो काज सदाई सरे
आधी व्याधि सब जावे दूर
चिंतामणि म्हारी.......
मुझ मन लागि तुमसु प्रीत
दुझो कोई न आवे चित्त
कर मुझ तेज प्रताप प्रचुर
चिंतामणि म्हारी.......
दुझो कोई न आवे चित्त
कर मुझ तेज प्रताप प्रचुर
चिंतामणि म्हारी.......
भव भव देजो तुम पद सेव
श्री चिंतामणि अरिहंत देव
समय सुन्दर कहे गुण भरपूर
चिंतामणि म्हारी...
श्री चिंतामणि अरिहंत देव
समय सुन्दर कहे गुण भरपूर
चिंतामणि म्हारी...
इस स्तवन की रचना *समय सुन्दर जी म.सा.* ने लोद्र्वाजी पार्श्वनाथ प्रतिमा को देखकर की थी..
चममत्कारिक प्रतिमा का दर्शन अवश्य करे
लोद्रवा पार्श्वनाथ जैसलमेर
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BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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