सम्यग् ज्ञानपद के दोहे…
आज ज्ञानपंचमी के दिवस पर आपके
बच्चों को ज्ञान की पूजा और निम्न
लिखित दोहो से आराधना कराये…
बच्चों को ज्ञान की पूजा और निम्न
लिखित दोहो से आराधना कराये…
(1) समकित श्रद्धावंतने,
उपन्यो ज्ञान प्रकाश
प्रणमु पदकज तेहना,
भाव धरी उल्लास !!
” ॐ ह्रिॅ श्रीॅ मतिज्ञानाय नमो नम: ”
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसिहीआए मत्थएण वंदामि.
उपन्यो ज्ञान प्रकाश
प्रणमु पदकज तेहना,
भाव धरी उल्लास !!
” ॐ ह्रिॅ श्रीॅ मतिज्ञानाय नमो नम: ”
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसिहीआए मत्थएण वंदामि.
(2) पवयण श्रुत सिध्धांतने,
आगम समय वखाण
पुजो बहुविध रागथी,
चरण कमल चित्त आण !!
” ॐ ह्रिॅ श्रीॅ श्रृतज्ञानाय नमो नम: ”
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसिहीआए मत्थएण वंदामि.
आगम समय वखाण
पुजो बहुविध रागथी,
चरण कमल चित्त आण !!
” ॐ ह्रिॅ श्रीॅ श्रृतज्ञानाय नमो नम: ”
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसिहीआए मत्थएण वंदामि.
(3) उपन्यो अवधिज्ञाननो,
गुण जेहने अविकार,
वंदना तेहने माहरी,
श्वास मांहे सो वार !!
” ॐ ह्रिॅ श्रीॅ अवधिज्ञानाय नमो नम: ”
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसिहीआए मत्थएण वंदामि.
गुण जेहने अविकार,
वंदना तेहने माहरी,
श्वास मांहे सो वार !!
” ॐ ह्रिॅ श्रीॅ अवधिज्ञानाय नमो नम: ”
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसिहीआए मत्थएण वंदामि.
(4) ए गुण जेहने उपन्यो,
सर्व विरति गुणखाण !
प्रणमुं हितथी तेहना,
चरण कमल चित्त आण !!
” ॐ ह्रिॅ श्रीॅ मन:पर्यवज्ञानाय नमो नम: ”
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसिहीआए मत्थएण वंदामि.
सर्व विरति गुणखाण !
प्रणमुं हितथी तेहना,
चरण कमल चित्त आण !!
” ॐ ह्रिॅ श्रीॅ मन:पर्यवज्ञानाय नमो नम: ”
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसिहीआए मत्थएण वंदामि.
(5) केवल दंसण नाणनो,
चिदानंद घन तेज !
ज्ञान पंचमी दिन पूजीये,
विजय लक्ष्मी शुभ हेज !!
” ॐ ह्रिॅ श्रीॅ केवलज्ञानाय नमो नम: ”
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसिहीआए मत्थएण वंदामि
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चिदानंद घन तेज !
ज्ञान पंचमी दिन पूजीये,
विजय लक्ष्मी शुभ हेज !!
” ॐ ह्रिॅ श्रीॅ केवलज्ञानाय नमो नम: ”
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसिहीआए मत्थएण वंदामि
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ज्ञानियों का कहना है, जीवन निर्माण के लिए
सम्यग् ज्ञान का पाठ पढ़ाना
अत्यंत आवश्यक है। शुभम् अस्तु।।
जैनिज़्म : सद्-गति से परम्-गति की ओर.
सम्यग् ज्ञान का पाठ पढ़ाना
अत्यंत आवश्यक है। शुभम् अस्तु।।
जैनिज़्म : सद्-गति से परम्-गति की ओर.
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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