♨ कार्तिक पूर्णिमा का माहात्म्य
🙏कार्तिक मास के पूर्णिमा के दिन,
द्राविड़ व् वालिखिल्ल मुनि 10 करोड़ मुनियों के साथ शत्रुंजय तीर्थ के ऊपर मोक्ष में गये।
🙏वर्षाकाल का चातुर्मास कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूरा होता है हमारे साधु साध्वीजी का विहार तथा भव्य आत्मा तीर्थयात्राए करते है ..
🙏शत्रुजंय पे मोक्ष -प्राप्ति का उत्सव भी इस दिन देवों ने किया था। इसलिए दुसरे स्थान में तथा दुसरे समय में यात्रा, तप, दान और देवपूजा करने से जो पुण्य होता है उससे कहीं गुणा अधिक पुण्य फल इस पूर्णिमा के दिन शत्रुंजय गिरिराज पर मिलता है।
🙏नरक में सैकड़ों सागरोपम वर्ष में जितने कर्मों का क्षय नहीं होता उतने कर्मों का क्षय कार्तिक मास में मासक्षमण करने से यहाँ पर होता है।
🙏इस विमलाचल पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन केवल एक उपवास करने से ब्रह्महत्या, स्त्री हत्या और भ्रूणहत्या के पाप से मनुष्य मुक्त होता है।
🙏यहाँ पर भी अरिहंत प्रभु के ध्यान में तत्पर होकर कार्तिक पूर्णिमा की जो आराधना करता है वह सब सुखों का उपभोग करके निर्वाण प्राप्त करता है।
🙏जो वैशाख, कार्तिक और चैत्री आदि महीनों की पूर्णिमा के दिन संघ के साथ श्री पुंडरिक गिरि पर आकर के दान देते है, और तप करते है वे शिवसुख का उपभोग करते है।
🙏भरत चक्रवर्ती के मोक्ष जाने के पश्चात् एक पूर्व कोटि वर्ष व्यतीत होने पर द्राविड़-वालिखिल्ल आदि मोक्ष में गए।
🙏कार्तिक मास के पूर्णिमा के दिन,
द्राविड़ व् वालिखिल्ल मुनि 10 करोड़ मुनियों के साथ शत्रुंजय तीर्थ के ऊपर मोक्ष में गये।
🙏वर्षाकाल का चातुर्मास कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूरा होता है हमारे साधु साध्वीजी का विहार तथा भव्य आत्मा तीर्थयात्राए करते है ..
🙏शत्रुजंय पे मोक्ष -प्राप्ति का उत्सव भी इस दिन देवों ने किया था। इसलिए दुसरे स्थान में तथा दुसरे समय में यात्रा, तप, दान और देवपूजा करने से जो पुण्य होता है उससे कहीं गुणा अधिक पुण्य फल इस पूर्णिमा के दिन शत्रुंजय गिरिराज पर मिलता है।
🙏नरक में सैकड़ों सागरोपम वर्ष में जितने कर्मों का क्षय नहीं होता उतने कर्मों का क्षय कार्तिक मास में मासक्षमण करने से यहाँ पर होता है।
🙏इस विमलाचल पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन केवल एक उपवास करने से ब्रह्महत्या, स्त्री हत्या और भ्रूणहत्या के पाप से मनुष्य मुक्त होता है।
🙏यहाँ पर भी अरिहंत प्रभु के ध्यान में तत्पर होकर कार्तिक पूर्णिमा की जो आराधना करता है वह सब सुखों का उपभोग करके निर्वाण प्राप्त करता है।
🙏जो वैशाख, कार्तिक और चैत्री आदि महीनों की पूर्णिमा के दिन संघ के साथ श्री पुंडरिक गिरि पर आकर के दान देते है, और तप करते है वे शिवसुख का उपभोग करते है।
🙏भरत चक्रवर्ती के मोक्ष जाने के पश्चात् एक पूर्व कोटि वर्ष व्यतीत होने पर द्राविड़-वालिखिल्ल आदि मोक्ष में गए।
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