जिनशासन मे तपागच्छ नायक श्री माणिभद्र इन्द्र का अद्भुत प्रभाव हे जो कोइ मानव पवित्र ह्रदय रखते हुवे शुद्ध भावना के साथ निर्मल दर्शन के साथ इन्द्र देव की पूजा ,अर्चना और होम (हवन) करता हे ,उनके सारे दुःख ,दर्द ,पीडा दुर होकर सभी मनोरथ कार्य शीघ्र पूर्ण होते हे...यही कारण से अभीतो जैन के इलावा जैनेतर समाज भी श्री माणिभद्र इन्द्र देव को वराह अवतार मानते हुवे पूर्ण श्रद्धा के साथ भक्ति भाव से पूजा ,अर्चना करते है ।
१० इंद्र वैमानिक देवलोक में ।
२ इंद्र ज्योतिष्क देवलोक में ।
२० इंद्र भवनपति निकाय में ।
३२ इंद्र व्यंतर निकाय में ।
१०+२+२०+३२=६४ इंद्र ।
।। ॐ असीआउसा नमः श्री माणिभद्र दिसतु मम सदा सर्वकार्येषु सिद्धिं ।।
जय जिनेन्द्र सा 卐
जय हो श्री माणिभद्र वीर की_/\_
१० इंद्र वैमानिक देवलोक में ।
२ इंद्र ज्योतिष्क देवलोक में ।
२० इंद्र भवनपति निकाय में ।
३२ इंद्र व्यंतर निकाय में ।
१०+२+२०+३२=६४ इंद्र ।
।। ॐ असीआउसा नमः श्री माणिभद्र दिसतु मम सदा सर्वकार्येषु सिद्धिं ।।
जय जिनेन्द्र सा 卐
जय हो श्री माणिभद्र वीर की_/\_
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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