ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

जैन धर्म मे श्राद्ध मान्य नहीं हैं, क्यों?

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प्रश्न:- 
जैन धर्म मे श्राद्ध मान्य नहीं हैं, क्यों?

उत्तर:- 

बहुत से जैन लोगों के प्रश्न हैं कि श्राद्ध मानें या नहीं?

जैन धर्म श्रमण संस्कृति को मानता है,
वैदिक संस्कृति मे श्राद्ध मानते हैं।

हिन्दु धर्म और जैन धर्म अलग हैं।

बहुत से जैन समझते हैं कि हम हिन्दु हैं।

जैन धर्म कर्म प्रधान है।

जैसे कर्म वैसी गति।

पिंड दान करने से या कौवे को खिलाने से क्या वो दान पूर्वज को जाता है, यह बात समझ से बाहर है।

करुणा तो जैन धर्म का गहना (आभूषण)है।

महावीर प्रभु के रग रग मे करुणा थी जगत के लिए।

पूर्वज कोई देव नहीं हैं, जैसी उनके कर्म हैं वैसी उनकी गति है।

पूर्वज को पूजा नहीं जाता,
सिर्फ उन्हें प्रणाम किया जाता है, क्योंकि वो घर के बड़े थे।

पूजना है तो अरिहंत प्रभु को पूजो।
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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