भगवत्प्राप्ति के जितने भी साधन है, उन सबमे उत्तम-से-उत्तम साधन है-भगवान को हर समय याद रखना ।
इसके समान और कोई साधन है ही नहीं । चाहे कोई उत्तम-से-उत्तम भी कर्म हो, पर वह भगवत स्मृति के समान नही है ।
चाहे भक्ति का मार्ग हो, चाहे ज्ञान का, चाहे योग का ।
सभी मार्गोंमें भगवान की स्मृति की ही परमआवश्यकता है ।
श्रद्धा, भक्ति और वैराग्यपूर्वक नित्य-निरन्तर परमात्मा का स्मरण-चिन्तन करना ही सर्वोपरी है।
हम सबका जीवन भी प्रभु भक्ति से प्रकाशित हो यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
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ASHOK SHAH & EKTA SHAHइसके समान और कोई साधन है ही नहीं । चाहे कोई उत्तम-से-उत्तम भी कर्म हो, पर वह भगवत स्मृति के समान नही है ।
चाहे भक्ति का मार्ग हो, चाहे ज्ञान का, चाहे योग का ।
सभी मार्गोंमें भगवान की स्मृति की ही परमआवश्यकता है ।
श्रद्धा, भक्ति और वैराग्यपूर्वक नित्य-निरन्तर परमात्मा का स्मरण-चिन्तन करना ही सर्वोपरी है।
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