मानव भव का महत्त्व क्यों है ?
नरक में जिनवाणी सुन नही सकते ।
तिर्यंच ( पशु , पेड़ आदि ) में जिनवाणी समझ नही सकते ।
देवगति में जिनवाणी का पालन नही कर सकते ।
केवल मानव भव ही है जिसमे हम प्रभु की वाणी को सुनकर , समझकर आचरण भी कर सकते हैं ।
मनुष्य भव से ही मोक्ष जा सकते हैं ।
देवता कभी दीक्षा/संयम स्वीकार नही कर सकते ,
पापों का त्याग नही कर सकते ।
इसीलिए देवता कभी मोक्ष में नही जा सकते ।
तीर्थंकर आदिनाथ हों ,
गणधर गौतम स्वामी जी हों ,
जो भी मोक्ष गये ,
केवल मनुष्य भव से ही गये है ।
किसको मानना ,
किसको नहीं मानना ?
किस रूप में मानना ,
यह महत्वपूर्ण है ।
नमस्कार मंत्र में अरिहंत-सिद्ध-आचार्य-उपाध्य ाय-साधू ,
इन्ही को नमस्कार किया गया हैं ।
क्योंकि इनको वंदन करने से शाश्वत मोक्ष का सुख मिल सकता है,
उनके गुण हम मे आएंगे ।
लेकिन जो अविरति है - यानि जो पापों का स्वयं त्याग नही कर सकता, राग द्वेष से युक्त है,
ऐसे देव देवी जी को भगवान मानना सही नही ।
वे परमात्मा के अधिष्टायक देव देवी हैं ..
देवगति में होने से विशिष्ट शक्तियों से युक्त है,
लेकिन परमात्मा नही है...
हमारे साधर्मिक है ..
अतः
देव देवी हमारे साधर्मिक है ।
उनकी उपासना करने से सांसारिक सुख मिल सकते हैं,
लेकिन शास्वत मोक्ष का सुख नही मिल सकता ।
नरक में जिनवाणी सुन नही सकते ।
तिर्यंच ( पशु , पेड़ आदि ) में जिनवाणी समझ नही सकते ।
देवगति में जिनवाणी का पालन नही कर सकते ।
केवल मानव भव ही है जिसमे हम प्रभु की वाणी को सुनकर , समझकर आचरण भी कर सकते हैं ।
मनुष्य भव से ही मोक्ष जा सकते हैं ।
देवता कभी दीक्षा/संयम स्वीकार नही कर सकते ,
पापों का त्याग नही कर सकते ।
इसीलिए देवता कभी मोक्ष में नही जा सकते ।
तीर्थंकर आदिनाथ हों ,
गणधर गौतम स्वामी जी हों ,
जो भी मोक्ष गये ,
केवल मनुष्य भव से ही गये है ।
किसको मानना ,
किसको नहीं मानना ?
किस रूप में मानना ,
यह महत्वपूर्ण है ।
नमस्कार मंत्र में अरिहंत-सिद्ध-आचार्य-उपाध्य
इन्ही को नमस्कार किया गया हैं ।
क्योंकि इनको वंदन करने से शाश्वत मोक्ष का सुख मिल सकता है,
उनके गुण हम मे आएंगे ।
लेकिन जो अविरति है - यानि जो पापों का स्वयं त्याग नही कर सकता, राग द्वेष से युक्त है,
ऐसे देव देवी जी को भगवान मानना सही नही ।
वे परमात्मा के अधिष्टायक देव देवी हैं ..
देवगति में होने से विशिष्ट शक्तियों से युक्त है,
लेकिन परमात्मा नही है...
हमारे साधर्मिक है ..
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देव देवी हमारे साधर्मिक है ।
उनकी उपासना करने से सांसारिक सुख मिल सकते हैं,
लेकिन शास्वत मोक्ष का सुख नही मिल सकता ।
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