पुण्यात्माओं के लिए धर्म है
पापियों को तो धर्म की पड़ी ही कहाँ है !
हाँ,
"धर्म" करने की "इच्छा" जगे,
तो समझ लें कि
पाप कर्म से निवृत्ति होने की शुरुआत हो चुकी है
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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