ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

पुण्यात्माओं के लिए धर्म है

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पुण्यात्माओं के लिए धर्म है 
पापियों को तो धर्म की पड़ी ही कहाँ है !
हाँ, 
"धर्म" करने की "इच्छा" जगे, 
तो समझ लें कि 
पाप कर्म से निवृत्ति होने की शुरुआत हो चुकी है
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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