ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

SIMANDER SWAMI ARIHANT PARMATMA, V.V.PURAM, BANGALORE........

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अशांति मे शांति , दुःख मे सुख

शांति पाने की कोशिश मत करे,अशांति को स्वीकार कर ले-आप शांत हो जायेंगे। फिर दुनिया में कोई आपको अशांत नही कर सकता। अगर मैं अशांति के लिए राज़ी हू ,कौन मुझे अशांत कर सकता है?अगर मैं गाली के लिए तैयार हू तो कौन मेरा अपमान कर सकता है?मैं गाली के लिए राज़ी नही हू इसलिए कोई मेरा अपमान कर सकता है। मैं अशांति के लिए राज़ी नही हू इसलिए कोई भी अशांत कर सकता है।

अगर हम ठीक से मन की प्रक्रिया को समझ ले,तो मन की प्रक्रिया को समझकर जीवन बदल जाता है। प्रक्रिया ये है की मन हमेसा चीजों को दो में तोड़ देता है-मान-अपमान,सुख-दुःख, शांति-अशांति, संसार-मोक्ष। और कहता है एक नही चाहिए,अरुचिकर है,और एक चाहिए रुचिकर है-बस ये मन का खेल है।

इस मन से बचने के दो उपाय है-या तो दोनों के लिए राज़ी हो जाये-मन मर जायेगा। या दोनों को छोड़ दे,तो भी मन मर जायेगा। जो आपके लिए अनुकूल पड़े वैसा कर ले-अन्यथा आपके शांत होने का कोई उपाय नही है।

जब तक आप शांत होना चाहते है,तब तक शांत न हो सकेंगे। जब तक सुखी होना चाहते है दुःख आपका भाग्य होगा, और जब तक मोक्ष के लिए पागल है,संसार आपकी परिक्रमा होगी। दोनों के लिए राज़ी हो जाये-मांग ही छोड़ दे,-कह दे जो होता है मैं राज़ी हू'।

इसका थोडा प्रयोग करके देखे-24 घंटे,ज्यादा नही। लड़ने का प्रयोग तो आप जन्मो से कर रहे है,एक 24 घंटे तय कर ले, की आज सुबह 6 बजे से कल सुबह 6 बजे तक जो भी होगा,उसको मैं स्वीकार कर लूँगा,जहाँ भी हो विरोध,द्वन्द नही खड़ा करूंगा।

करके देखे,24 घंटे में आपकी जिंदगी में एक नई हवा का प्रवेश होगा। जैसे कोई झरोखा अचानक खुल गया,और ताज़ी हवा आपकी जिन्दगी में आनी शुरू हो गई। फिर ये 24 घंटे कभी खत्म न होंगे। एक दफा इसका अनुभव हो जाये,फिर आप इसमें गहरे उतर जाएँगे।
कोई विधि नही है शांत होने की, शांत होना जीवन- दृष्टी है।कोई मैथड नही होता की भगवान का नाम जप लिया और शांत हो गये। अशांति को स्वीकार कर ले,दुःख को स्वीकार कर ले,मृत्यु को स्वीकार कर ले,फिर आपकी कोई मृत्यु नही है।"

" जिसे हम स्वीकार कर लेते है, उसके हम पार हो जाते है "

BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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