ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

आपकी भक्ति से हमारा मोक्ष भी संभव बने!

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आपकी भक्ति से हमारा मोक्ष भी संभव बने!
हम तो भक्ति करने में भी असमर्थ हैं. 
भक्ति के भाव संभव बनें
ताकि भव भव से भटकना बंद हो,
ये विनती आप से है!
ये भावना बढ़ती रहे,
ऐसा संभव बने!



जैन धर्म के सारे "शुभ तत्त्वों" को 

1 "एक स्थान" पर देखना हो, 
2 "स्वयं" में महसूस करना हो, 
3 "शरीर" में प्रभाव स्थिर करना हो, 
4 "श्रद्धा" को जगाना हो,
5 "धर्म" की महत्ता जाननी हो,

तो हृदय में "नवकार" को बसा लें.
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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