ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

मोक्ष टूर :

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मोक्ष टूर : आप सभी आत्मार्थी को यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता होगी की आप सभी की आत्मा को प्राप्त करने की रूचि लगन और पुरुषार्थ को देखते हुए मोक्ष यात्रा का कन्फर्म बुकिंग (reservation) हो गया है और अभी भी जो तत्त्व पिपासु इस टूर में आना चाहता हो वो तत्काल बुकिंग करा सकते है।(एक जरुरी सुचना : जो तत्त्व पिपासु इस टूर में आ रहे है वो सभी जैसे शरीर को शुद्ध कर पूजा भक्ति आदि करते है और चप्पल बूट मंदिरजी के बहार छोड़ते है वैसा ही अपने अहंकार आदि को घर छोड़ आना है और अपनी स्लेट(मिथ्या मान्यता)पूरा साफ करके ही सफर करना है और कोई भी जीव ऐसा नहीं करता तो वो कभी मंज़िल तक नहीं पहोचेगा इसलिए बहोत जरुरी है की अपनी पूरानी मान्यताओ को पूर्णतया अपने अंदर से बहार फ़ेक दे।)जल्द ही हम सभी ट्रेन (मोक्ष के सफर)के लिए बैठ कर यात्रा का प्रारंभ करेंगे। याद रहे की हमारा लक्ष्य अंतिम स्टेशन(मोक्ष महेल)है और हम सभी को वहा ही उतरना है। और ध्यान रहे की बीच बीच में कई स्टेशन आएंगे जैसे की व्रत, तप, जप ,राग ,द्वेष, मोह वगेरे लकिन हमें फ़िल्म की रील की भाति उसको सिर्फ देखना ही है , वहा कही भी उतरना नहीं है। हमारी मंज़िल तो अंतिम स्टेशन (मोक्ष)ही है जहा हमें अनादि अनंत शास्वत सुख की अनुभूति करनी है। मेने सुना है की जिसको आत्मा प्राप्ति की लगन रूचि और तीव्र पुरुषार्थ हो उसकी यात्रा (मोक्ष प्राप्ति)सफल होती ही है ,अगर ऐसा ना हो तो 14 ब्रह्माण्ड को भी शून्य होना पड़े।आज आप सभी को यह जानकर भी ख़ुशी होगी की मेरे निमित्त से वीतराग प्रभु की प्रतिमा और तत्त्व का समन्वय से 11200 से ज्यादा तत्त्व पिपासु इस मोक्ष टूर में सफर कर रहे है जिसमे में भी शामिल हु। हम सभी को ट्रेन में सफर के दौरान एक वचनामृत का पान करना है और वो वचनामृत सभी को दिल में बिठाके रखना ही है क्योकि उसकी अत्यंत आवश्यकता है और वो वचनामृत कुछ इस तरह है... 'मैं ही परमात्मा हूँ ' ऐसा निश्चय कर,
'मैं ही परमात्मा हूँ' ऐसा निर्णय कर, 
'मैं ही परमात्मा हूँ' ऐसा अनुभव कर । 
वीतराग सर्वज्ञदेव त्रिलोक नाथ परमात्मा सौं इन्द्रो की उपस्थिति में समवशरण में लाखों करोडों देवों की मौजूदगी में ऐसा फरमाते थे कि 'मैं ही परमात्मा हूँ' ऐसा निश्चय कर। ''भगवान! 'आप परमात्मा हो' इतना तो हमें निश्चित करने दो!'' -वह निश्चय कब होगा? कि जब 'मैं परमात्मा हूँ' ऐसा अनुभव होगा, तब 'यह परमात्मा हैं' ऐसा व्यवहार तुझे निश्चित होगा, निश्चय का निर्णय हुए बिना व्यवहार का निर्णय नहीं होगा।'...
आप सभी का सफर कामयाब हो और सभी अपने अनंत अनादि सुख की अनुभूति कर निज स्वरुप में सिद्धालय में स्थिर रहे और अनादि का जन्म मरण का चक्रव्यूह से मुक्त हो यही प्रभु प्रार्थना। तो तैयार हो जाओ मोक्ष टूर के अंतिम पड़ाव के लिए। बोलो सभी तीर्थकरों की जय..बोलो जिन शासन की जय..
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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