हे अबोध ,
आप जानते ही है कि किसी भी सूखी घास के ढेर को एक छोटी सी चिंगारी भी जलाने लगती है और शीघ्र ही उस ढेर को जलाकर भस्म कर देती है ।
लेकिन यदि घास गीली हो, तो फिर वह चिनगारी खुद ही बुझ जाती है ।
हे भव्यात्मा, अब आपको सोचना चाहिए कि जिस तरह जंगल की आग अपने आप ही पेड़ की रगड़ की किसी भी चिंगारी से लगकर पूरे जंगल को सहज रूप से भस्म कर देती है,
इसी तरह आज तक आपकी समस्त कर्मपुंज रूपी घास क्यों नहीं जली ?
आपके आत्मदेव की प्राप्ति के लिए तो यह एक बहुत ही ज्वलंत प्रश्न है ।
हे प्रियम्, श्री सद्गुरूओं के प्रताप से आत्म-ज्योति की चिनगारियों की कमी नहीं है ।
एक बार अगर आपने अपनी कर्मपुंजों की घास को सुखा लिया, तो फिर सद्गुरूओं के प्रताप से आपकी खुद की आत्म-ज्योति की चिनगारियों में से कोई भी चिनगारी कहीं से भी आकर इन कर्म-पुंजों को जला ही देगी ।
देखो भाई, वास्तव में तो सद्गुरूओं की देशना रूपी चिंगारी बार-बार आप के कर्मपुंज से टकरा रही है, फिर भी अनादिकाल से आज तक ये कर्म-पुंज अगर नष्ट नहीं हो पाये है, तो इसका एक मात्र कारण यह है कि आप इस अनन्त कर्मो की घास को मोह-ममता रूपी जल से सींच रहे हो ।
इसीलिये सद्गुरूओं की देशना रूपी चिंगारी अनादिकाल से व्यर्थ जा रही है ।
अतः आज नहीं, बल्कि अभी से इस संसार का पोषण करने वाली और आपके सर्वस्व का नाश करने वाली इस मोह-ममता को समूल नष्ट कर दें. फिर अकर्तत्वपने से विश्व के ज्ञाता-द्रष्टा बनकर साक्षी भाव से बैठ जायें । तब सहज रूप से निश्चित ही किसी भी सद्गुरु की कोई भी देशना की चिंगारी से आपके समस्त कर्मपुंज स्वतः ही भस्म हो जाएंगे, तथा फिर मोक्ष-लक्ष्मी स्वयं आपका वरण करने को तत्पर हो उठेगी ।
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
LIKE & COMMENT - https://jintirthdarshan.blogspot.com/
THANKS FOR VISITING.
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.