एक जैन मंदिर की बगल मे एक नाई की दुकान थी।
जहां वह रहता भी था।
जैन मंदिर पुजारी और नाई दोनों मित्र बन गये थे |
नाई हमेशा ही जैन मंदिर पुजारी से कहता,
ईश्वर ऐसा क्यों करता है,
वैसा क्यों करता है ?
यहाँ बाढ़ आ गई,
वहाँ सूखा हो गया,
यहाँ एक्सीडेंट हुआ,
यहाँ भुखमरी चल रही है
नौकरी नहीं मिल रहीं हमेशा लोगों को
ऐसी बहुत सारी परेशानियां देता रहता है |
एक दिन उस जैन मंदिर पुजारी ने मित्र नाई को
सामने सडक पर बैठै एक इंसान से मिलाया,
जो भिखारी था,
बाल बहुत बढ़े थे,
दाढ़ी भी बहुत बढ़ी थी।
मित्र नाई को कहा:-
देखो इस इंसान को जिसके बाल बढ़े हुए हैं,
दाढ़ी भी बहुत बढ़ी हुई है |
तुम्हारे होतें हुए ऐसा क्यों है ?
नाई बोला:- अरे! उसने मेरे से कभी संपर्क ही नहीं किया
जैन मंदिर पुजारी ने तब समझाया यही तो सारी बात है |
जो लोग ईश्वर से संपर्क करते रहते हैं
उनका दुःख स्वत:ही खत्म हो जाता है
जो लोग संपर्क ही नहीं करतें और कहतें हैं हम दुःखी है
वो सब अपने अपने कर्म काट रहै होते हैं। |
जहां वह रहता भी था।
जैन मंदिर पुजारी और नाई दोनों मित्र बन गये थे |
नाई हमेशा ही जैन मंदिर पुजारी से कहता,
ईश्वर ऐसा क्यों करता है,
वैसा क्यों करता है ?
यहाँ बाढ़ आ गई,
वहाँ सूखा हो गया,
यहाँ एक्सीडेंट हुआ,
यहाँ भुखमरी चल रही है
नौकरी नहीं मिल रहीं हमेशा लोगों को
ऐसी बहुत सारी परेशानियां देता रहता है |
एक दिन उस जैन मंदिर पुजारी ने मित्र नाई को
सामने सडक पर बैठै एक इंसान से मिलाया,
जो भिखारी था,
बाल बहुत बढ़े थे,
दाढ़ी भी बहुत बढ़ी थी।
मित्र नाई को कहा:-
देखो इस इंसान को जिसके बाल बढ़े हुए हैं,
दाढ़ी भी बहुत बढ़ी हुई है |
तुम्हारे होतें हुए ऐसा क्यों है ?
नाई बोला:- अरे! उसने मेरे से कभी संपर्क ही नहीं किया
जैन मंदिर पुजारी ने तब समझाया यही तो सारी बात है |
जो लोग ईश्वर से संपर्क करते रहते हैं
उनका दुःख स्वत:ही खत्म हो जाता है
जो लोग संपर्क ही नहीं करतें और कहतें हैं हम दुःखी है
वो सब अपने अपने कर्म काट रहै होते हैं। |
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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