ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

प्रार्थना और ध्यान..

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प्रार्थना, अर्थात, ईश्वर से वार्तालाप करने का प्रयत्न।
ध्यान, अर्थात, परमात्मा को पूरे ध्यान से सुनने का प्रयत्न।
उनसे तार मिलाने का प्रयास।

ये दो प्रयत्न यदी हमने सफलता पूर्वक कर लिए तो निश्चित ही उसके फल स्वरूप कल्याण मार्ग पर अपनी कूच आरंभ हो जाएगी।
इनशॉर्ट.. जीवन सफल हो जाने के अवसर निश्चित रूप से प्राप्त हो जाएंगे।

पर, ये प्रार्थना और ध्यान दोनो इतने साधारण और सरल नही, ये कार्य पूरी लगन के साथ, पूरी श्रद्धा के साथ, पूरे अनुशासन से होना आवश्यक है।

और उसके लिए ज़रूरत है ज्ञान की, शिक्षा की, जो हमें सद्गुरु के योग और सानिध्य से ही प्राप्त हो सकता है।

ये गुरुभगवंत हमारी ये नवीन यात्रा में हमारे गाईड के रूप में रहते है। हमें यात्रा की हर रितभात की जानकारी देंगे और यात्रा सुंदरता से पूर्ण हो और साथ ही उत्तम फलदायी, आरामदायी, सुखरूप रहे इसका ध्यान रखेंगे।

साथ ही , यात्रा दरम्यान हम अपने मार्ग से न भटक जाए इसका ध्यान रखेंगे। बुरे निमित्तों से हमे बचाएंगे, आवश्यक हितशिक्षा दे कर , प्रेरित करते हुवे हमारे ध्येय को, लक्ष को पाने में हमारी पूर्ण सहायता करेंगे।

इस तरह प्रार्थना और ध्यान का महत्व, पूज्य गुरु भगवंत के योग का महत्व भलीभांति जानकर, इसमें आत्मा को पूर्ण रूप से जुटाने में लग जाऐं और जीवन सफल बनायें।

BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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