अनंत लब्धि निधान श्री गौतम स्वामी
एक तरफ अद्भुत ज्योति
चरम तीर्थंकर भगवान् महावीर स्वामी का
इस संसार से देह का त्यागना
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और उसी दिन दूसरी शाश्वत ज्योति
"केवल ज्ञान" का "प्रकट" होना
श्री गौतम स्वामी में !
इन दोनों की स्मृति में ही तो "दीपक" "प्रकट" करते हैं
घरों में, मंदिरों और उपाश्रयों में भी !
श्री गौतम स्वामी ने भगवान् महावीर का आलम्बन जीवन भर उसी प्रकार रखा जिस प्रकार महाबली हनुमान ने श्री राम का रखा था.
दोनों के "विनय" का दूसरा जोड़ देखने में नहीं आता.
स्वयं की "शक्ति" को भूल जाना जब "आराध्य" सामने हों !
सही भी है जब आराध्य सामने हों तब "शक्ति" का प्रयोग करने की जरूरत भी कहाँ है !
श्री गौतम स्वामी ने पूरे जीवन में 50000 साधुओं को दीक्षित किया
और सभी केवलज्ञानी बने !
एक भी नहीं छूटा !
100 % Result !
दूसरा ऐसा उदाहरण नहीं है!
ऐसे श्री गौतम स्वामी को "गुरु" के रूप में स्थापित किया है
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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