कब किस के जीवन में क्या क्या हो जाए ये हम कहा नहीं सकते है | वैसे वर्तमान समय में सिर्फ एक ही चीज पर लोग ज्यादा ध्यान क्रेंद्रित करते हुए आज कल दिखाई देते है और वो है दिखाबा | अपनी बात को कहने के लिए में एक सच्ची कहानी के द्वारा समझाने का प्रत्यन करता हूँ | एक माध्यम परिवार का बच्चा अपने माता पिता से आये दिन नई नई चीजो की फरमाइश माता पिता से हमेशा करता रहता था और उसके पिता अपने पुत्र की उन फरमायश को अभी तक पूरा करते आ रहा थे |
एक दिन उनके पुत्र ने अपने माता पिता से एक मोटरसाइकिल की मांग कर दी | जिसको पूरा करना , इस समय माता पिता के लिए संभव नहीं था | इस कारण से पुत्र एक दिन गुस्सा हो गया और अपने माता पिता जी के लिए बहुत कुछ उल्टा सीधा सुना दिया की जब मोटरसाइकिल नहीं दिला सकते तो क्यों मुझे इंजीनियर बनाने के सपने आप लोग दिखा रहे हो ? उसने गुस्से में मन ही मन फैसला कर लिए की मै आज ही घर छोड़कर चला जाऊंगा | और तब तक वापिस नहीं आऊंगा जब तक बड़ा आदमी नहीं बन जाता हूँ |
घर से भागने के लिए उसने पापा का पर्स चोरी किया और जल्दी जल्दी में भागते हुए जूते पहने और घर से भाग लिया | थोड़ी दूर तक तो जोश में भागता रहा, फिर उसे पैरो में कुछ चुभा तो उसने जूते को खोल कर देखा तो हल्का सा खून पैर से निकल रहा था | कोई जूते की कील चुभने के कारण खून निकला था | थोड़ा और आगे चला तो पैर में कुछ गिला गिला लगा, देखा तो जूते का सोल कटा हुआ था | जिसके कारण सड़क का पानी जूते के अंन्दर आ रहा था | जैसे तैसे चलकर वो बस स्टैण्ड पर पहुँच गया |
वहां पर उसे पता चला की एक घंटे तक कोई भी बस शहर जाने के लिए नहीं है | तभी उसके दिमाग में आया की हम पापा का पर्स देखते है| इसमें पापा की डायरी भी रहती है तो मालूम पडेगा की कितना पैसा पापा ने मम्मी से भी छुपाकर रखा है ? तभी तो वो अपना पर्स किसी को भी छूने नहीं देते है | पर्स को खोलने के बाद जो दृश्य बेटे के समाने आया, वो एक दम से अचम्भित रह गया | उसने एक मुड़ी हुई पर्ची को देखकर पड़ा, उसमे ४००००|- रुपये देने का जिकर था | जोकि लेपटाप का बिल था और पैसे देना बाकी है, उस पर लिखा था|
जबकि लेपटाप तो मेरे पास घर पर है | एक और पर्ची पर्स में से निकालकर पड़ी जिसमे लिखा था की वर्मा जी कल से दफ्तार में अच्छी जूते पहन के आना बड़े साहब आ रहे है, जूतो को नहीं खरीदने के कारण पापाजी उस दिन बीमारी का बहाना बनाकर दफ्तार नहीं गए | मम्मी भी बहुत दिनों से हर पहली तारीख को बोलती थी, की आप जूते लेकर आ जाओ परन्तु पापा बोलते थे की अभी कम से कम 2-३ महीने और चल जायेंगे | एक और उसने पर्ची निकाली उसमे जो लिखा था उसको पड़कर तो वो एक दम से सकते में आ गया और सीधा घर की तरफ भागा, क्योकि उस पर्ची पर लिखा था की पुराना स्कूटर के बदले नई मोटरसाइकिल ले | जब वो घर पहुंचा तो पापा जी और उनका स्कूटर घर पर नहीं था, वो समझा गया की वो कहाँ पर गए है | फ़ौरन वो मोटरसाइकिल के शो रूम पर पहुँच गया और उसने अपने पापा जी को गले से लगाकर जो वो रोया |
जिसके कारण उनका कन्धा आंसूओ से भिगो दिया| उसके बाद जो शब्द उसने अपने पापा जी को बोले की नहीं पापा जी मुझे मोटरसाइकिल नहीं चाहिए आप तो पहले जूते खरीदो और अपने लिए कम से कम दो जोड़ी कपड़े ले लो | मै आज से ही आपको वचन देता हूँ की मै अब से बिना फिजूल खर्च किये बिना ही आपके सपनो को साकार करके दिखाऊंगा | एक सफल इंजीनियर के साथ ही बड़ा आदमी बनके आपको दिखाऊंगा | फिर दोनों पिता और पुत्र अपने पुराने स्कूटर पर बैठकर ख़ुशी ख़ुशी घर वापिस आ गए |
इस तरह से आज के दिन मेरा सही जन्म हुआ है ये शब्द उसने अपने पिता जी को बोला | दोस्तों माँ एक ऐसा बैंक है जहाँ पर आप हर दुःख और सुख जमा कर सकते हो | साथ ही पापा एक ऐसा क्रेडिट कार्ड है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश सदा वो करते है | साथियो माँ बाप से बढ़ाकर इस दुनियां में कुछ भी नहीं है | आज वो एक सफल और काबिल इंजीनियर है | उसका जीवन एक छोटी सी घटना ने पूरी तरह से बदल दिया था | और साथ ही इस घटना ने उसके पूरे जीवन को नई दिशा दी | जिसके कारण ही आज वो कुछ अपने जीवन में कर सका | मां और बाप जो हमारे लिए करते है वो और कोई भी नहीं कर सकता है | उनके इस कर्ज को सौ जन्म लेने के बाद भी हम और आप नहीं उतार सकते है | हर इंसान के जीवन में कब कौनसी घटना घट जाए और आपका पूरा जीवन उस एक छोटी सी घटना से बदल सकता है |
बस आप सकारात्मक सोच रखो | जन हित में मेरा ये लेख सभी नव युवको के लिए समर्पित है | इसलिए मैं कहता हूँ की माँ और बाप बिना सब जग सुना है |
BEST REGARDS:-
ASHOK SHAH & EKTA SHAHLIKE & COMMENT - https://jintirthdarshan.blogspot.com/
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