|| जीवन का मुल्यांकन ||
मानव जीवन अति मुल्यवान है, धन संपदा से मानव जीवन का मूल्य नहीं लगाया जा सकता।
यदि मानव जीवन का वास्तविक मुल्यांकन किया जाए तो जीवन अनमोल है, नहीं तो यह शरीर मुट्ठी भर मिट्टी के सिवाय कुछ भी नही।
यदि अपना अन्तःकरण विकासित करें तो वह सारे ब्रम्हांड में भी नही समा सकता पर इसके लिये गहरे आत्म चिंतन व मंथन की आवश्यकता है।
इसके साथ साथ साधना और आराधना का निरंतर अभ्यास चाहिऐ...
मै कौन हूँ , कहां से आया हूँ , मुझे जाना कहां है. मेरे जीवन यात्रा की मंजिल कहां है...?
क्या सोकर उठना और उठकर सो जाना ही जीवन है...?
यदि ऐसा ही किया तो हमारे हाथ में आया यह मानव भव बहुमूल्य हीरा... कांच के भाव खो देंगे।
जीवन को सत-संगती से जोडकर आत्म विकास की ओर मोड़ने का पुरूषार्थ करना होगा, तभी मानव जीवन सफल व सार्थक होगा।
मानव जीवन अति मुल्यवान है, धन संपदा से मानव जीवन का मूल्य नहीं लगाया जा सकता।
यदि मानव जीवन का वास्तविक मुल्यांकन किया जाए तो जीवन अनमोल है, नहीं तो यह शरीर मुट्ठी भर मिट्टी के सिवाय कुछ भी नही।
यदि अपना अन्तःकरण विकासित करें तो वह सारे ब्रम्हांड में भी नही समा सकता पर इसके लिये गहरे आत्म चिंतन व मंथन की आवश्यकता है।
इसके साथ साथ साधना और आराधना का निरंतर अभ्यास चाहिऐ...
मै कौन हूँ , कहां से आया हूँ , मुझे जाना कहां है. मेरे जीवन यात्रा की मंजिल कहां है...?
क्या सोकर उठना और उठकर सो जाना ही जीवन है...?
यदि ऐसा ही किया तो हमारे हाथ में आया यह मानव भव बहुमूल्य हीरा... कांच के भाव खो देंगे।
जीवन को सत-संगती से जोडकर आत्म विकास की ओर मोड़ने का पुरूषार्थ करना होगा, तभी मानव जीवन सफल व सार्थक होगा।
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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