ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

श्री रावण पार्श्वनाथ

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श्री रावण पार्श्वनाथ – अलवर
राजस्थान प्रांत के अलवर शहर से ३ कि.मी. दूर श्री रावण पार्श्वनाथ का भव्य जिनालय है| प्रतिमाजी १२ इंच ऊँचे, ९ इंच चौड़े, सात फनों से युक्त है|
रावण पार्श्वनाथ की उत्पति के पीछे एक इतिहास छिपा है|
लंका के अधिपति आठवे प्रतिवासुदेव रावण का प्रभु पूजन के बाद ही भोजन ग्रहण करने का नियम था| एक बार रावण व मंदोंदरी विमान में बैठकर परदेश जा रहे थे| भोजन का समय होने पर उन्होंने अलवर के पास विश्राम किया, उसी समय उन्हें याद आया की जिनपूजा तो बाकी ही है| उस समय मंदोंदरी ने वेलु में से मनोहर प्रतिमा का निर्माण किया और प्रणीधान पूर्वक नवकार गिनकर प्रतिमा में प्राण भरे| उसके बाद रावण व मंदोंदरी ने पूजा की| उसके बाद ही भोजन किया|
दोनों की व्रत पालन की दृढ़ता देखकर अधिष्ठायक देव ने प्रतिमा को ब्रजवत बना दी| मंदोंदरी द्वारा निर्मित व रावण द्वारा पूजित ये प्रतिमाजी “रावण पार्श्वनाथ” के नाम से प्रख्यात हुए| वह प्राचीन जिनालय १४ वी सदीतक था|
वि.सं. १६५४ में हरिनंद श्रेष्ठी ने उस जिनालय का नवीन निर्माण कराया और उसमें रावण पार्श्वनाथ के नूतन जिनबिंब की प्रतिष्ठा कराई|

BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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