ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

भगवान् महावीर की ये प्रतिमा ?

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भगवान् महावीर की ये प्रतिमा ?

1 "शिखा" ऐसी मानो सर पर "मेरु शिखर" ही हो ! 

2 "भाल" प्रदेश ऐसा मानो पुण्य का "देश" हो !

3 "भ्रमर" की मोड़ ऐसी मानो "गांडीव धनुष" हो !

4 "नयन" ऐसे मानो "जलकमलवत" हों !

5 "नासिका" ऐसी मानो तलवार जैसी "धारदार" हो !

6 "होंठ" ऐसी मानो अस्खलित "मृदु मुस्कान" हो !

7 शरीर गठन ऐसा मानो स्पर्श किये बिना रह ना सको !

8 "गर्दन" पर तीन रेखाएं ऐसीं मानो "शंख" ही क्यों ना हो !

प्रत्येक अंग पर जो भी है,
वो शोभायमान है !

हे प्रभु !

आप का अवतार कैसा है,
ये तो उसकी मात्र एक झलक है !

आपकी वाणी ?
कितनी मधुर है !

इसका तो अंदाज़ भी नहीं लगा सकते.

आपका कहा गया हर वाक्य
व्याकरण की दृष्टि से अजोड़,
तत्त्व की दृष्टि से अजोड़,
दृष्टांत की दृष्टि से अजोड़ है !

क्या कहूं ?

तेरी छवि देखकर चुप रहूं
तो ही अच्छा है.

मेरे पास वो भाव भी कहाँ
शब्द भी कहाँ और
योग्यता भी कहाँ !

आज के दिन तो आपने "दर्शन" दिए तो भी "अंतिम" ही !
आपने बिना कुछ ग्रहण किये 48 घंटे देशना दी !

(जिस दिन व्यक्ति संसार छोड़ता है उसकी बोली तो
दो दिन पहले बंद हो जाया करती है).

हाय ! पता नहीं मैं कहाँ था उस समय !
ये अभाव अब पूरा कैसे होगा?

मैं तो गौतम स्वामी जैसा रो भी नहीं रहा.

आपकी याद में किसी को रोते मैंने आज तक नहीं देखा.
पर 80 वर्षीय वृद्ध गौतम स्वामी फूट फूट कर रोये !

क्या मैं ऐसा रो भी नहीं सकता?
ऐसी "अशक्ति" भी मुझ में हो
तो मेरा ये भव सफल हो जाए !

पर जैसा हूँ, तेरी शरण है !
और किसी का अब हो नहीं सकता


BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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