कालचक्र अपनी नियमित गति से चल रहा है | वर्तमान अवसर्पिणी काल के पांचवे आरे में हम है इसके बाद छठवा आरा और फिर उत्सर्पनी काल आने को है, तो जानिए उस काल उस समय मैं जम्बुद्वीप के भरत क्षेत्र में होने वाले तीर्थंकरों के पूर्व भव का नाम व भविष्य का नाम और वर्तमान में उनकी स्थिति :
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ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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आगामी चोवीस तीर्थंकरों का परिचय :
- श्रेणिक राजा का जीव, प्रथम नरक से आकर पहले ‘ श्री पद्मनाभजी ‘ होंगे।
- श्री महावीर स्वामी जी के काका सुपार्श्व जी का जीव, देवलोक से आकर दुसरे ‘ श्री सुरदेव जी ‘ होंगे ।
- कोणिक राजा का पुत्र उदाइ राजा का जीव , देवलोक से आकर तीसरे ‘ श्री सुपार्श्व जी ‘ होंगे।
- पोट्टिला अनगार का जीव, तीसरे देवलोक से आकर चौथे ‘ श्री स्वयंप्रभ जी ‘ होंगे।
- दृढ युद्ध श्रावक का जीव, पांचवे देवलोक से आकर पांचवें ‘ श्री सर्वानुभूति जी ‘ होंगे ।
- कार्तिक सेठ का जीव, प्रथम देवलोक से आकर छठे ‘ श्री देवश्रुती जी ‘ होंगे ।
- शंख श्रावक का जीव, देवलोक से आकर सातवें ‘ श्री उदयनाथ जी ‘ होंगे ।
- आणन्द श्रावक का जीव, देवलोक से आकर आठवें ‘ श्री पेढ़ाल जी ‘ होंगे।
- सुनंद श्रावक का जीव, देवलोक से आकर नववें ‘ श्री पोट्टिल जी ‘ होंगे।
- पोखली श्रावक के धर्म भाई शतक श्रावक का जीव, देवलोक से आकर दसवें ‘ श्री सतक जी ‘ होंगे।
- श्री कृष्ण जी की माता देवकी रानी का जीव, नरक से आकर ग्यारहवें ‘ श्री मुनिसुव्रत जी ‘ होंगे।
- श्री कृष्ण जी का जीव, तीसरी नरक से आकर बारहवें ‘ श्री अमम जी ‘ होंगे।
- सुजेष्टा जी का पुत्र, सत्यकी रूद्र का जीव, नरक से आकर तेरहवें ‘ श्री नि:कषाय जी ‘ होंगे।
- श्री कृष्ण जी के भ्राता बलभद्र जी का जीव, पांचवें देवलोक से आकर चौदहवें ‘ श्री निष्पुलाक जी ‘ होंगे।
- राजगृही के धन्ना सार्थवाही की पत्नी सुलसा श्राविका का जीव, देवलोक से आकर पन्द्रहवें ‘ श्री निर्मम जी ‘ होंगे।
- बलभद्र जी की माता रोहिणी का जीव, देवलोक से आकर सोलहवें ‘ श्री चित्रगुप्त जी होंगे।
- कोलपाक बहराने वाली रेवती गाथा पत्नी का जीव, देवलोक से आकर सत्रहवें ‘ श्री समाधिनाथ जी ‘ होंगे।
- सततिलक श्रावक का जीव, देवलोक से आकर अठारहवें ‘ श्री संवरनाथ जी ‘ होंगे।
- द्वारका दाहक द्वीपायन ऋषि का जीव, देवलोक से आकर उन्नीसवें ‘ श्री यशोधर जी ‘ होंगे।
- करण का जीव, देवलोक से आकर बीसवें ‘ श्री विजय जी ‘ होंगे।
- निर्ग्रन्थ पुत्र मल्लनारद का जीव, देवलोक से आकर इक्कीसवें ‘ श्री मल्यदेव जी ‘ होंगे।
- अम्बड़ श्रावक का जीव, देवलोक से आकर बाइसवें ‘ श्री देवचन्द्र जी ‘ होंगे।
- अमर का जीव, देवलोक से आकर तेइसवें ‘ श्री अनन्तवीर्य जी ‘ होंगे।
- सतकजी का जीव, सर्वार्थसिद्ध विमान से आकर चौबीसवें ‘ श्री भद्रंकर जी ‘ होंगे।
24 FUTURE TIRTHNKAR | भविष्य के तीर्थंकर | पूर्व भाव के नाम | |
1 | SHREE PADMANABH PRABHUJI | श्री पद्मनाभ प्रभुजी | राजा श्रेणिक |
2 | SHREE SURDEV NATHJI | श्री सुरदेव नाथजी | सुपार्श्व |
3 | SHREE SUPARSHVA NATHJI | श्री सुपार्श्व नाथजी | उदंक |
4 | SHREE SWAYAMPRABH NATHJI | श्री स्वयंप्रभ नाथजी | प्रोषठिल |
5 | SHREE SARVANUBHUTI SWAMIJI | श्री सर्वनुभुती स्वामीजी | सूर्यकृत |
6 | SHREE DEVSHRUTI PRABHUJI | श्री देवश्रुति प्रभुजी | क्षत्रिय |
7 | SHREE KULPUTRA PRABHU JI | श्री कुलपुत्र जी | पाविल |
8 | SHREE UDDANK JI | श्री उद्दंक जी | शंख |
9 | SHREE PROSHTHIL JI | श्री प्रोष्ठिल जी | नन्द |
10 | SHREE JAIKIRTI JI | श्री जयकीर्ति जी | सुनन्द |
11 | SHREE MUNISUVRAT JI | श्री मुनिसुव्रत जी | शशांक |
12 | SHREE AR JI | श्री अर जी | सेवक |
13 | SHREE NISHPAAP JI | श्री पद्मनाभ प्रभुजी,निष्पाप जी | प्रेमक |
14 | SHREE NISHKASHAY JI | श्री निष्कषाय जी | अवतोरण |
15 | SHREE VIPUL JI | श्री विपुल जी | रेवत |
16 | SHREE NIRMAL JI | श्री निर्मल जी | श्री कृष्ण |
17 | SHREE CHITRAGUPT SWAMIJI | श्री चित्रगुप्त जी | सिरी (बलराम) |
18 | SHREE SAMADHIGUPT JI | श्री समाधिगुप्त जी | भगली |
19 | SHREE SWYAMBHU JI | श्री स्वयंभू जी | बागली |
20 | SHREE ANIVARTAK JI | श्री अनिवर्तक जी | द्वीपायन |
21 | SHREE JAI JI | श्री जय जी | कनक पाद |
22 | SHREE VIMAL JI | श्री विमल जी | नारद |
23 | SHREE DEVPAAL JI | श्री देवपाल जी | स्वरुप दत्त |
24 | SHREE ANNANVEERYA TJI | श्री अंनतवीर्य जी | सालकिपुत्र |
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