ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

भीनमाल तीर्थ

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"भीनमाल तीर्थ" 
राजस्थान के प्राचीन और ऐतिहासिक नगरों में भीनमाल (Bhinmal) शहर का उच्च स्थान है। आज भीनमाल नगर अपने नूतन 72 जिनालय के कारण अत्यंत विख्यात हो रहा है, किन्तु इस शहर में एक से एक प्राचीन जैन मंदिर भी है। इन्ही में से एक व नगर के जैन समाज/संघ की गतिविधियों का मुख्य केंद्र श्री "महावीर जी" मंदिर जो जैन धर्म के 24वे तीर्थंकर भगवान् श्री महावीर स्वामी जी की चमत्कारिक प्रतिमाजी से सुशोभित है।
आइए आज जाने, श्री महावीर स्वामी मंदिर, भीनमाल का इतिहास -
भीनमाल के ह्रदय स्थल में स्थित महावीर जी जैन मंदिर / जिनालय का निर्माण वर्तमान से लगभग 914 वर्ष पूर्व विक्रम संवत 1160 (सन् 1104 ईस्वी) में गुर्जर नरेश कुमारपाल महाराजा ने "श्री ऋषभदेव जिनप्रसाद" के रूप में करवाया था।
कालान्तर में मूल मंदिर और प्रतिमाजी के जीर्ण शीर्ण होने से विक्रम संवत 1870 में जैन सकल संघ, भीनमाल द्वारा प्रारम्भ हुए पहले जीर्णोद्वार में मूलनायक प्रभु बदल कर भगवान श्री महावीर स्वामी हुए जिनकी प्रतिष्ठा तत्कालीन तपोगच्छीय जैनाचार्य जितेंद्रसूरिजी के करकमलो विक्रम संवत 1873 (सन् 1817 ईस्वी) आज से लगभग 200 वर्ष पूर्व में हुई थी।
फिर अनेक वर्षो बाद काल के प्रभाव से मंदिर पुनः जीर्ण हुआ। इसे देख तत्कालीन तपोगच्छिय त्रिस्तुतिक संघ के आचार्य भगवंत विजय धनचंद्रसूरीश्वरजी, आचार्य श्री विजय भुपेंद्रसूरीश्वरजी और आचार्य श्रीमद्विजय यतींद्रसूरीश्वरजी द्वारा समय-समय पर इसके जीर्णोद्धार के लिए श्री संघ को उपदेश दिए गए। आचार्य भगवन्तो के लगातार उपदेश से स्थानीय जैन संघ ने, आज से लगभग 70 वर्ष पूर्व फिर से जीर्णोद्वार प्रारम्भ करवाया और कलात्मक शिखर वाला, संगमरमर का बड़ा जिनालय का निर्माण करवाया। जिसकी प्रतिष्ठा /अंजनशलाका आज से 56 वर्ष पूर्व विक्रम संवत 2018 (सन् 1962) में तत्कालीन सौधर्म वृहत् तपगच्छ के गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय विद्याचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. के द्वारा संपन्न हुई।
जिनालय में वर्तमान मूलनायक प्रभु श्री महावीर स्वामीजी प्राचीन है और पद्मासन मुद्रा में बिराजित है। यह प्रतिमा बड़ी चमत्कारिक है। मुख्य शहर में स्थित सभी जैन मंदिरों में सबसे बड़े परिसर वाला जैन मंदिर भी यही है। समस्त जैन संघ, भीनमाल की अधिकतम गतिविधि इसी जिनालय परिसर में होती है।
इस जिनालय परिसर में बायीं और एक भव्य अष्टापदजी का मंदिर और दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरि जी महाराज साहेब का गुरु मंदिर तथा विशाल व्याख्यान हॉल, जैन पाठशाला, साधू-साध्वीजी भगवन्तो के अलग अलग उपाश्रय, धर्मशाला, कायमी भोजनशाला, तीर्थ पेढ़ी एवं आयम्बिल शाला भी है।

BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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