ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

नाडलाई तीर्थ

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नाडलाई तीर्थ
श्री नेमिनाथ भगवान , श्री आदिनाथ भगवान
आ तीर्थ प्राचीन है। नारदजी ए वसावेल तीर्थ है , इसलिये तीर्थ का नाम नारदपूरी , नाडूलाई भी है। नाडलाई गाम के बहार 400 मीटर दूर सौदर्य से शोभते 2 पहाड़ है। एक पहाड़ का नाम गिरनार और एक पहाड़ का नाम शत्रुंजयावतार है।
श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्ने आ गिरनार पर भव्य जिनालय बनवाया था , श्याम वर्ण के 75 से.मी. के पद्मासनस्थ अतिसुंदर प्रभावशाली श्री नेमिनाथ भगवान मूलनायक तरीके बिराजमान है। श्री शत्रुंजय टेकरी उपर पण अतिप्राचीन विशाल जिनालय में वि. सं. 1686 में श्याम वर्ण के 75 से.मी. पद्मासनस्थ श्री आदिनाथ भगवान मूलनायक तरीके बिराजमान है।
विक्रम संवत 964 में यशोभद्रसूरि महाराज साहेबे तपेसरजी के साथ शास्त्रार्थ किया। तब महाराज साहेबे पोतानी विद्या शक्ति से खेडनगर या वल्लभीपुर से श्री आदिनाथ भगवान का जिनालय अही लाये थे। जो अभी गाम में विद्यमान है। बाद में यशोभद्रसूरि के पास तपेसरजी ए दीक्षा ली , और केशवसूरि बने।
हथुंडी के राजा विदग्धराज को प्रतिबोध किया और जैन बनाया। दोंनो सूरिजी का अही कालधर्म हुआ था। जेना स्तुपो जसिया और केशिया के नाम से जाने जाते है। तलेटी में 7 जिनालय है , और गाम में भी 4 जिनालय है। गाम में धर्मशाला , भोजनशाला की व्यवस्था है। ये तीर्थ फालना से 40 कि. मी. , मूछाला महावीर से 16 कि. मी. है।


BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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