ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

श्री संभवनाथाय नम: ईशा पर्ल सोसायटी, पुणे

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ईश्वर: सर्वभूतानां ह्रद्देशे तिष्ठति !!
ह्रदयभावग्राही परमात्मा से सच्चा प्रेम करने का स्थान हमारा निर्मल ह्रदय ही है !
हमें अपने ह्रदय में केवल प्रेमास्पद परमात्मा को ही बसाना चाहिये क्योंकि प्रेम करने एवं ह्रदय में बसाने योग्य एक परमात्मा ही है , वे परमात्मा स्वभाव से परम उदार एवं जीवमात्र के परमसुह्रद है !!
भाव के भूँखे प्रभु हैं ! भाव ही एक सार है !!
भाव से उनको भजो तो भव से बेडा पार है !!!
!! जय जिनेन्द्र !!


BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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