जैन रामायण का एक पात्र है दशमुख यानि रावण
रावण जब भी युद्ध के लिए अथवा किसी कार्य से बाहर जाता था तब वह जिन प्रतिमा साथ में रखता था , जहा भी समय मिलता वो परमात्मा की पूजा विधि पूर्वक भाव सहित करता था ।
हमारे शास्त्र और गुरु भगवंत भी कहते हैं कि जैन समुदाय के घरों में जिन प्रतिमा का होना अत्यंत आवश्यक है ।
लाखो करोड़ों के बंगले और फ्लैट हो पर अगर उसमे गृह जिन मंदिर या कम से कम 1 जिन प्रतिमा भी न हो तो उस घर को श्मशान के समान माना गया है ।
खासकर वर्तमान के परिदृश्य में जब घर के बच्चों के प्रातः काल स्कूल आदि के समय के कारन बच्चे 5-6 दिन तक परमात्मा के दर्शन तक नहीं कर पाते हैं ।
ऐसे समय में घर मंदिर या घर में जिन प्रतिमा का होना नितांत आवश्यक है , तभी बच्चों में धर्म के संस्कार रहेंगे ।
आशातना के डर या बहाने से ऐसा ना करने की बजाय गुरु भगवंतों से सही मार्गदर्शन लेकर हर घर में परमात्मा की प्रतिमा रखनी चाहिए ।
घर पर प्रतिमा जी है इसलिए समय और शक्ति होने के बावजूद जिन मंदिर जाकर दर्शन पूजा नहीं करना ,वो अनुचित है ।
रावण जब भी युद्ध के लिए अथवा किसी कार्य से बाहर जाता था तब वह जिन प्रतिमा साथ में रखता था , जहा भी समय मिलता वो परमात्मा की पूजा विधि पूर्वक भाव सहित करता था ।
हमारे शास्त्र और गुरु भगवंत भी कहते हैं कि जैन समुदाय के घरों में जिन प्रतिमा का होना अत्यंत आवश्यक है ।
लाखो करोड़ों के बंगले और फ्लैट हो पर अगर उसमे गृह जिन मंदिर या कम से कम 1 जिन प्रतिमा भी न हो तो उस घर को श्मशान के समान माना गया है ।
खासकर वर्तमान के परिदृश्य में जब घर के बच्चों के प्रातः काल स्कूल आदि के समय के कारन बच्चे 5-6 दिन तक परमात्मा के दर्शन तक नहीं कर पाते हैं ।
ऐसे समय में घर मंदिर या घर में जिन प्रतिमा का होना नितांत आवश्यक है , तभी बच्चों में धर्म के संस्कार रहेंगे ।
आशातना के डर या बहाने से ऐसा ना करने की बजाय गुरु भगवंतों से सही मार्गदर्शन लेकर हर घर में परमात्मा की प्रतिमा रखनी चाहिए ।
घर पर प्रतिमा जी है इसलिए समय और शक्ति होने के बावजूद जिन मंदिर जाकर दर्शन पूजा नहीं करना ,वो अनुचित है ।
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
LIKE & COMMENT - https://jintirthdarshan.blogspot.com/
THANKS FOR VISITING.
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.