ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

जैन रामायण का एक पात्र है दशमुख यानि रावण

Image may contain: 2 people

जैन रामायण का एक पात्र है दशमुख यानि रावण 

रावण जब भी युद्ध के लिए अथवा किसी कार्य से बाहर जाता था तब वह जिन प्रतिमा साथ में रखता था , जहा भी समय मिलता वो परमात्मा की पूजा विधि पूर्वक भाव सहित करता था ।

हमारे शास्त्र और गुरु भगवंत भी कहते हैं कि जैन समुदाय के घरों में जिन प्रतिमा का होना अत्यंत आवश्यक है । 

लाखो करोड़ों के बंगले और फ्लैट हो पर अगर उसमे गृह जिन मंदिर या कम से कम 1 जिन प्रतिमा भी न हो तो उस घर को श्मशान के समान माना गया है ।

खासकर वर्तमान के परिदृश्य में जब घर के बच्चों के प्रातः काल स्कूल आदि के समय के कारन बच्चे 5-6 दिन तक परमात्मा के दर्शन तक नहीं कर पाते हैं ।

ऐसे समय में घर मंदिर या घर में जिन प्रतिमा का होना नितांत आवश्यक है , तभी बच्चों में धर्म के संस्कार रहेंगे ।

आशातना के डर या बहाने से ऐसा ना करने की बजाय गुरु भगवंतों से सही मार्गदर्शन लेकर हर घर में परमात्मा की प्रतिमा रखनी चाहिए ।

घर पर प्रतिमा जी है इसलिए समय और शक्ति होने के बावजूद जिन मंदिर जाकर दर्शन पूजा नहीं करना ,वो अनुचित है ।

BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
LIKE & COMMENT - https://jintirthdarshan.blogspot.com/
THANKS FOR VISITING.

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.