महावीर प्रभु निर्वाण दिवस
दिए क्यों जलाए जाते हैं ?
कार्तिक अमावस्या को यह दिन इसलिए मनाया जाता है;
क्योंकि इस दिन भगवान् महावीर को मोक्ष की प्राप्ति हुई |
गहरी अँधेरी रात थी,
जब प्रभु ने अपना शरीर छोड़ा |
---
आस-पास और दूर-दूर से जन समुदाय भगवान् के अंतिम दर्शन के लिए पावापुरी की और चल पड़े |
18 राजा भी अपने दल-बल के साथ निकल पड़े
उन्होंने सारे राजमार्गों और हर कोने-कोने,
चप्पे चप्पे पर दीये लगवा दिए,
ताकि जनता को अन्धकार में असुविधा न हो
---
स्वर्गलोक से काफी देवता भी अपने रथों पर आरूढ़ हो कर आ रहे थे, उनके रथों पर चमकते हुए रत्न लगे हुए थे |
पूरा क्षेत्र रोशनी से जगमगा रहा था |
---
जब प्रभु की देह पंचतत्व में विलीन हो गयी,
तब राजाओं ने निर्णय लिया
" ज्ञान से पुरे लोक को आलोकित करनेवाली
भावज्योति तो क्षितिज के पार चली गयी है,
लेकिन उनकी पुण्य स्मृति में हमलोग प्रतिवर्ष यह दिन
द्रव्यज्योति जला कर मनाएंगे "
---
इस तरह से दीये जलाने की परंपरा शुरू हुई
"एक पंक्ति में दीये" यानी दीपावली !
दीपावली यानी दीपों की आवलिका !
दिए से दिए जलाया जाता है |
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
LIKE & COMMENT - https://jintirthdarshan.blogspot.com/
THANKS FOR VISITING.
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.