ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

।।। Beauty without Cruelty ।।।

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हे अबोध ,

विश्व में एक ही सुंदरता है जिसमें क्रूरता नही है । त्रैलोक्य में निजभगवान आत्मा ही सुंदर है । और वो ही ज्ञान का विषय होगा तो बाह्य केशभुषा, वेशभूषा, कलप लगाना , मेहन्दी लगाना eyebrows करना , शैम्पू लगाना सहज छुट जाता है । 

शरीर सुंदर लगना चाहिये इसलिए साधारण वनस्पतिरूप मेहेन्दी का ( अनंत जीवों ) का गला दबाते है यही महान क्रूरता । स्वभाव को जाना तो आत्मसौंदर्य - निसर्गज सौंदर्य प्रगट होता है । तब तनु पोषक मुर्दा होने की जीज्ञासा खत्म होती है ।

अनादि काल से हम ने निजकारन परमात्मा की विराधना की यही अपने आप से की गयी कृरता है । उसकी वजह से Cruelty without Beauty ऐसा निरस जीना हम जी रहे है ।

एक बार अगर खुद की सुंदरता महसूस करोगे तो अंनंत विराधना क्रूरता सहज खत्म होती है तब Beauty without Cruelty सार्थक होती है ।
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BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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