१. सर्वप्रथम हाथों के दर्शन करना । चन्द्रमा रुपी सिद्धशिला के ऊपर विराजमान २४ तीर्थांकर की कल्पना कर उन्हें नमस्कार करना ।
२. परमात्मा की तरह हमारे भी कर्म क्षय ( ख़त्म ) हों, इस भावना से 9 नवकार मन्त्र गिनना ।
३. नाक की जिस नली( Right or left ) से श्वास अधिक आता हो , वह ( right या left ) पैर ज़मीन पर पहले रखना ।
४. घर में इस प्रकार व्यवस्था करनी की सुबह उठते साथ कभी झाड़ू और जूते-चप्पल के दर्शन न हों ।
५. भगवान की प्रतिमा/फ़ोटो के आगे णमो जिणाणं कहकर गुरु की प्रतिमा / फ़ोटो के आगे विनयपूर्वक मत्थएण वंदामि
कहना ।
६. अपने माता पिता के चरण स्पर्श करना अथवा उनकी फ़ोटो के आगे शीश झुकाना ।
७. नवकारसी का पच्चक्खान अवश्य करना । सूर्योदय से 48 मिनट तक कुछ न खाना पीना ही नवकारसी है जो बहुत ही
आसानी से किया जा सकता है ।
२. परमात्मा की तरह हमारे भी कर्म क्षय ( ख़त्म ) हों, इस भावना से 9 नवकार मन्त्र गिनना ।
३. नाक की जिस नली( Right or left ) से श्वास अधिक आता हो , वह ( right या left ) पैर ज़मीन पर पहले रखना ।
४. घर में इस प्रकार व्यवस्था करनी की सुबह उठते साथ कभी झाड़ू और जूते-चप्पल के दर्शन न हों ।
५. भगवान की प्रतिमा/फ़ोटो के आगे णमो जिणाणं कहकर गुरु की प्रतिमा / फ़ोटो के आगे विनयपूर्वक मत्थएण वंदामि
कहना ।
६. अपने माता पिता के चरण स्पर्श करना अथवा उनकी फ़ोटो के आगे शीश झुकाना ।
७. नवकारसी का पच्चक्खान अवश्य करना । सूर्योदय से 48 मिनट तक कुछ न खाना पीना ही नवकारसी है जो बहुत ही
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