ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

एक सत्य ने बदल दिया पुत्र का जीवन

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कब किस के जीवन में क्या क्या हो जाए ये हम कहा नहीं सकते है | वैसे वर्तमान समय में सिर्फ एक ही चीज पर लोग ज्यादा ध्यान क्रेंद्रित करते हुए आज कल दिखाई देते है और वो है दिखाबा | अपनी बात को कहने के लिए में एक सच्ची कहानी के द्वारा समझाने का प्रत्यन करता हूँ | एक माध्यम परिवार का बच्चा अपने माता पिता से आये दिन नई नई चीजो की फरमाइश माता पिता से हमेशा करता रहता था और उसके पिता अपने पुत्र की उन फरमायश को अभी तक पूरा करते आ रहा थे |
एक दिन उनके पुत्र ने अपने माता पिता से एक मोटरसाइकिल की मांग कर दी | जिसको पूरा करना , इस समय माता पिता के लिए संभव नहीं था | इस कारण से पुत्र एक दिन गुस्सा हो गया और अपने माता पिता जी के लिए बहुत कुछ उल्टा सीधा सुना दिया की जब मोटरसाइकिल नहीं दिला सकते तो क्यों मुझे इंजीनियर बनाने के सपने आप लोग दिखा रहे हो ? उसने गुस्से में मन ही मन फैसला कर लिए की मै आज ही घर छोड़कर चला जाऊंगा | और तब तक वापिस नहीं आऊंगा जब तक बड़ा आदमी नहीं बन जाता हूँ |
घर से भागने के लिए उसने पापा का पर्स चोरी किया और जल्दी जल्दी में भागते हुए जूते पहने और घर से भाग लिया | थोड़ी दूर तक तो जोश में भागता रहा, फिर उसे पैरो में कुछ चुभा तो उसने जूते को खोल कर देखा तो हल्का सा खून पैर से निकल रहा था | कोई जूते की कील चुभने के कारण खून निकला था | थोड़ा और आगे चला तो पैर में कुछ गिला गिला लगा, देखा तो जूते का सोल कटा हुआ था | जिसके कारण सड़क का पानी जूते के अंन्दर आ रहा था | जैसे तैसे चलकर वो बस स्टैण्ड पर पहुँच गया |
वहां पर उसे पता चला की एक घंटे तक कोई भी बस शहर जाने के लिए नहीं है | तभी उसके दिमाग में आया की हम पापा का पर्स देखते है| इसमें पापा की डायरी भी रहती है तो मालूम पडेगा की कितना पैसा पापा ने मम्मी से भी छुपाकर रखा है ? तभी तो वो अपना पर्स किसी को भी छूने नहीं देते है | पर्स को खोलने के बाद जो दृश्य बेटे के समाने आया, वो एक दम से अचम्भित रह गया | उसने एक मुड़ी हुई पर्ची को देखकर पड़ा, उसमे ४००००|- रुपये देने का जिकर था | जोकि लेपटाप का बिल था और पैसे देना बाकी है, उस पर लिखा था|
जबकि लेपटाप तो मेरे पास घर पर है | एक और पर्ची पर्स में से निकालकर पड़ी जिसमे लिखा था की वर्मा जी कल से दफ्तार में अच्छी जूते पहन के आना बड़े साहब आ रहे है, जूतो को नहीं खरीदने के कारण पापाजी उस दिन बीमारी का बहाना बनाकर दफ्तार नहीं गए | मम्मी भी बहुत दिनों से हर पहली तारीख को बोलती थी, की आप जूते लेकर आ जाओ परन्तु पापा बोलते थे की अभी कम से कम 2-३ महीने और चल जायेंगे | एक और उसने पर्ची निकाली उसमे जो लिखा था उसको पड़कर तो वो एक दम से सकते में आ गया और सीधा घर की तरफ भागा, क्योकि उस पर्ची पर लिखा था की पुराना स्कूटर के बदले नई मोटरसाइकिल ले | जब वो घर पहुंचा तो पापा जी और उनका स्कूटर घर पर नहीं था, वो समझा गया की वो कहाँ पर गए है | फ़ौरन वो मोटरसाइकिल के शो रूम पर पहुँच गया और उसने अपने पापा जी को गले से लगाकर जो वो रोया |
जिसके कारण उनका कन्धा आंसूओ से भिगो दिया| उसके बाद जो शब्द उसने अपने पापा जी को बोले की नहीं पापा जी मुझे मोटरसाइकिल नहीं चाहिए आप तो पहले जूते खरीदो और अपने लिए कम से कम दो जोड़ी कपड़े ले लो | मै आज से ही आपको वचन देता हूँ की मै अब से बिना फिजूल खर्च किये बिना ही आपके सपनो को साकार करके दिखाऊंगा | एक सफल इंजीनियर के साथ ही बड़ा आदमी बनके आपको दिखाऊंगा | फिर दोनों पिता और पुत्र अपने पुराने स्कूटर पर बैठकर ख़ुशी ख़ुशी घर वापिस आ गए |
इस तरह से आज के दिन मेरा सही जन्म हुआ है ये शब्द उसने अपने पिता जी को बोला | दोस्तों माँ एक ऐसा बैंक है जहाँ पर आप हर दुःख और सुख जमा कर सकते हो | साथ ही पापा एक ऐसा क्रेडिट कार्ड है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश सदा वो करते है | साथियो माँ बाप से बढ़ाकर इस दुनियां में कुछ भी नहीं है | आज वो एक सफल और काबिल इंजीनियर है | उसका जीवन एक छोटी सी घटना ने पूरी तरह से बदल दिया था | और साथ ही इस घटना ने उसके पूरे जीवन को नई दिशा दी | जिसके कारण ही आज वो कुछ अपने जीवन में कर सका | मां और बाप जो हमारे लिए करते है वो और कोई भी नहीं कर सकता है | उनके इस कर्ज को सौ जन्म लेने के बाद भी हम और आप नहीं उतार सकते है | हर इंसान के जीवन में कब कौनसी घटना घट जाए और आपका पूरा जीवन उस एक छोटी सी घटना से बदल सकता है |
बस आप सकारात्मक सोच रखो | जन हित में मेरा ये लेख सभी नव युवको के लिए समर्पित है | इसलिए मैं कहता हूँ की माँ और बाप बिना सब जग सुना है |
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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Jainism Question and Answers

1. कौनसें तीर्थंकर परमात्मा को केवलज्ञान शकटमुख उद्यान मे हुआ था  ??
ans. श्री आदिनाथ जी
2. नवकार मंत्र का शास्त्रीय नाम क्या है  ??
ans. पंचमंगल महाश्रुतस्कंध ॥
3. अनार्य देश में कितने तीर्थंकर परमात्मा जी ने विचरण किया  ??
ans. चार तीर्थंकर परमात्मा जी ने अनार्य देश मे विचरण किया  ॥
4. लोगस्स के पाठ में वन्दे और वंदामि शब्द कितनी बार आता है  ??
ans. वन्दे शब्द तीन बार व वंदामि शब्द दो बार आता है  ॥
5. दो दण्डक के जीव ही कर सकते है वह क्या  ??
ans. सामायिक ॥
6. प्रतिक्रमण में विश्व मैत्री का मुख्य कौनसा पाठ है  ??
ans.  खामेमि~सव्वजीवे  ॥
7. दर्शन मोह की तीन प्रकृतियाँ कौन~कौनसी है  ??
ans.
१. सम्यक्त्व मोहनीय
२. मिथ्यात्व मोहनीय
३. मिश्र मोहनीय.     ॥
8. नाम कर्म की जघन्य व उत्कृष्ट स्थिति कितनी है  ??
ans.  नाम कर्म की स्थिति
जघन्य :- 8 मुहूर्त
उत्कृष्ट :- 20 क्रोडाक्रोड सागरोपम ॥
9. तीन लोक में शाश्वत मंदिर कितने है  ??
ans. 8,57,00,282 मंदिर ॥
10. समवशरण में कितने गढ़ होते है  ??
ans. तीन गढ़ होते है  ॥
11. एक इन्द्र के इंद्राणियों की संख्या कितनी है  ??
ans. एक इन्द्र के एक भव में 2 क्रोडा क्रोड, 85 लाख करोड़, 71 हजार करोड़, 400. करोड़, 28 करोड़, 57 लाख, 14 हजार, 285 इन्द्राणियाँ उत्पन्न हो कर मृत्यु प्राप्त करती है  ॥
12. भोजन के समय साधु~साध्वी जी की भावना न भावे तो क्या प्रायश्चित आता है  ??
ans. 400 गाथा की स्वाध्याय ॥
13. बिना हड्डी माँस के सन्नी पंचेन्द्रिय कौन. ??
ans.  नारकी देवता ॥
14. पंद्रह कर्म दान में से दसवाँ कर्मदान कौनसा है  ??
ans. विष वाणिज्य ॥
15.  मुंहपत्ती पडिलेहण के 50 बोल में से 14, 15,16, बोल कौनसा है ??
ans. 14:- ज्ञान, 15:- दर्शन, 16:- चारित्र आदरुं  ॥
16. आचार्यश्री जिनकुशल सुरि जी का गृहस्थावस्था में क्या नाम था
ans. श्री करमण जी
17. चार प्रकार के आहार का त्याग कौन सा तप हे ?
ans. अनशन
18. कुंकुमवर्णा पार्श्व प्रभु किस तीर्थ में बिराजमान हे ?
ans. अजाहरा तीर्थ
19. अष्टापदजी तीर्थ के भव्य प्रासाद का नाम ?
ans. सिंह निषदा प्रासाद
20. अनार्य देश से आ के अणगार कौन बने ?
ans. आद्र कुमार
21. 5,68,99,584 रोग कौन सी नारक में हे ?
ans. सातवी (७)
22. कुमारपाल महाराजा की जन्मभूमि ?
ans. दधिस्थली
23. चारित्र प्राप्ति के लिए 60,000 साल आयम्बिल किसने किये ?
ans. सुंदरी
24. वीरासन में कौन सा सूत्र बोला जाता हे  ?
ans. वंदित्तु
25. जहा पर्युषण महापर्व मनाये जाते हे ऐसे ?
ans.  भरत, ऐरावत
26. सर्व प्रथम कल्पसूत्र श्रवण करने वाले राजा ?
ans. ध्रुवसेन
27. कल्पसूत्र में ९ वे व्याख्यान का नाम
ans. सामाचारी
28. प्रभु वीर ने २ बार वासक्षेप किया उन गणधर का नाम ?
ans. श्री सुधर्मा स्वामीजी
29. पुण्य पाप का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. विपाक सूत्र
30. 6 द्रव्य का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. ठाणांग सूत्र
31. इन्द्रो के वैभव का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. देवेन्द्र सूत्र
32. ५ ज्ञान का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. नंदी सूत्र
33. सूर्य मंडल के स्वरूप का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. सूर्य प्रज्ञप्ति
34. ज्ञान – ज्ञान का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. सूयगडांग
35. नरकगामी राजाओ का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. निर्यायवालिका
36. मुनि समाचारी का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. ओघ निर्युक्ति
37. श्रमण क्रिया की करणी का वर्णन कौन से आगम में आता हे ?
ans. दश वैकालिक सूत्र
38. वो कौन से राजा थे जिनकी ५०० रानी ६ भाषा में काव्य लिखने में पारंगत थी ?
ans.  शालिवाहन राजा
39. समरशाह ने शत्रुंजय के जिर्णोद्धार के समय कौन सी प्रतिज्ञा ली थी ?
ans. जब तक तीर्थ का उद्धार ना हो तब तक हर रोज दो टाइम ही भोजन करूँगा – तेल अादि से स्नान का त्याग – एक विगई का त्याग और भूमि शयन करूँगा।
40. कौन से आचार्य की चमड़ी स्टेपलर (stepler) से जोड़ी गई ?
ans. आचार्य श्री हिमांशुसूरीश्वरजी म.सा.
(पालीताणा में ऑपरेशन था – बेहोश किये बिना ऑपरेशन किया, शरीर में खून की मात्रा नहीं थी और तब चमड़ी को स्टेपलर से जोड़ा गया)
41. आचार्य श्री धर्मघोष सूरीश्वरजी ने 50 साल तक कौन सा तप किया ?
ans. संसारी अवस्था में 500 जिनालय का वहिवट सम्हालते थे – दीक्षा ली और 50 साल तक लगातार 1 उपवास 1 पारणा किया और पारणे की दिन सिर्फ खीर लेते थे।
42. आचार्यदेव श्री कल्पद्रुमसूरीश्वरजी के समुदाय के साध्वीजी श्री हंसकीर्तिश्रीजी म. सा. का तप का क्या रिकॉर्ड हे ?
ans. 294 ओली, सालो से अनाज नहीं लिया। 13 साल की उम्र से लिलोतरी का त्याग, फल, पांच विगई का त्याग, ड्राई फ्रूट कभी नहीं खाया।
43. वो कौन थे जो हररोज एक घड़ा घी गुरुदेव को वहोराते थे ?
ans. शेठ आभड़शा
44. रोज आकाशगामिनी विध्या से सम्मेत शिखर तीर्थ की यात्रा करते थे ?
ans. आचार्य श्री पादलिप्तसूरीश्वरजी और आचार्य श्री बप्पभट्ट सूरीश्वरजी
45. जगडूशाह ने त्रिवर्षि दुकाल में कितने मण अनाज का दान किया ?
ans. 8,06,07,05,072 मण
46. वो 2 मुनीवर कौन जिन्होंने एक ही रात में 4000 और 3000 श्लोक कंठस्थ किये- और दोनों ने मिलकर एक प्रख्यात ग्रन्थ की रचना की थी।
ans. महामहोपाध्याय यशोविजयजी ने एक ही रात में 4000 श्लोक और महामहोपाध्याय विनयविजयजी ने एक ही रात में 3000 श्लोक कंठस्थ किये- और दोनों ने मिलकर “श्रीपाल राजा के रास” की रचना की थी।
47. श्री यशोभद्र सूरीश्वरजी ने आचार्य पदवी मिलने के बाद कौन सी प्रतिज्ञा ली थी ?
ans. 6 विगई का त्याग और आहार में सिर्फ 8 निवाले लेने की प्रतिज्ञा ली थी।
48. कौन से 2 श्रावक थे जो रोज 200 लोगस्स का काउसग्ग करते थे ?
ans. सिरोही के उजल और काजा
49. आचार्य श्री यशोभद्रसूरीश्वरजी ने एक ही दिन में एक ही समय पर कौन कौन से गांव में प्रतिष्ठा की थी ?
ans. आहड, करहेड़ा, कविलन, सांभर, भेसर – इन पांच गाँव में
50. 7 साल की उम्र में २ घंटे में पक्खी सूत्र कंठस्थ करने वाले बालमुनि कौन ?
ans. बालमुनि श्री त्रिभुवनरत्न विजयजी
51.”द्वादसार नयचक्र” ग्रन्थ के रचयिता कौन ?
ans.श्री मल्ल्वादिसूरीश्वरजी जिन्होंने सिर्फ 1 श्लोक के आधार पर 10000 श्लोक प्रमाण विशाल ग्रंथ बनाया।
52. महावीर स्वामी के शासन में  दीक्षा पर्याय किनका सब से ज़्यादा रहा ?
ans. वज्रसेनसूरीश्वरजी – दीक्षा पर्याय – 120 वर्ष और कुल उम्र 128 वर्ष
53. अर्हन्तो भगवंत इन्द्रमहिता – की रचना किसने की थी ?
ans. आचार्य श्री जिनपद्मसूरीश्वरजी
(जब पहली बार पाटण में व्याख्यान की पाठ पर बिराजे तब स्वयंभू स्फुरित श्लोक था ये। )
54. कौन पति पत्नी थे जो शत्रुंजय की प्रतिष्ठा के दिन परलोकगमन हुए ?
ans. जावडशा और उनकी धर्मपत्नी  – प्रतिष्ठा के समय ध्वजा चढाने शिखर पर गए, हर्षउल्लास से नृत्य किया और हृदय बंध हो जाने की वजह से परलोक सीधा गए।
55. आचार्य हिमांशुसूरीश्वरजी ने संघ को एक करने के लिए कितने आयम्बिल किये ?
ans. 4601 आयम्बिल
56. देवकी के 6 पुत्र ने किसके पास संयम लिया और क्या अभिग्रह लिया ?
ans. श्री नेमिनाथ प्रभु के पास संयम लिया और छठ पारणे छठ करने का अभिग्रह लिया।
57.श्री शत्रुंजय तीर्थ में रात्रिभोजन बंध करवाने के लिए किसने कौन सा तप किया ?
ans. किंजलबेन ने 180 उपवास किये।
58. श्री अंतरिक्ष तीर्थ में एक ही रात में 700 श्लोक की रचना किसने की ?
ans. श्री भुवनतिलक सूरीश्वरजी
59.पंन्यास श्री यशोभूषण विजयजी म. सा. का कालधर्म कब और कहा हुआ ?
ans. महा सूद ४ गुरुवार दिनांक 14-02-2013 को सुबह 11.10 बजे जूनागढ़ तलेटी में
60. रोज रात को उठकर 1008 खमासमण और 1008 लोगस्स का काउसग्ग कौन कर रहे हे ?
ans. श्री रविशेखर सूरीश्वरजी म. सा.
(दो साल पहले 194 वी ओली  में सारे आयम्बिल ठाम चौविहार के साथ किये थे)
61. पंन्यास श्री चंद्रशेखर विजयजी म. सा. का कालधर्म कब हुआ ?
ans. 8-8-2011 श्रावण सूद 11 को
62. रोज 216 खमासमण खड़े खड़े देते हे वो कौन ?
ans.  श्री दिव्यपद्म विजयजी म. सा. – 100 ओली के आराधक हे
(सांसारिक भाई रतिभाई ने 189 ओली की हे)
63. रोज सुबह 700 गाथा का नंदिसूत्र का पाठ करने के बाद ही पच्चक्खाण पारने वाले आचार्य कौन ?
ans. श्री पादलिप्तसूरीश्वरजी म. सा.
64. सब पर्वो में कौन सा पर्व सर्वश्रेष्ठ हे ?
ans. पर्युषण
65. कल्पसूत्र के रचयिता कौन ?
ans. भद्रबाहु स्वामीजी
66. कल्पसूत्र का मूल नाम क्या हे ?
ans. पज्जोसणा सूत्र
67. पर्युषण पर्व के प्रथम तीन दिन किसका वांचन होता हे ?
ans. अष्टान्हिका प्रवचन
68. अष्टान्हिका प्रवचन में किसका वर्णन हे ?
ans. श्रावक के कर्तव्यों का
69. पर्युषण पर्व में चौथे दिन से सातवे दिन तक किसका वांचन होता हे ?
ans. कल्पसूत्र
70. संवत्सरी के दिन किसका वांचन होता हे ?
ans. बारसा सूत्र
71. श्रावक को पर्युषण में कितने कर्तव्यों का पालन करना  चाहिए ? कौन से ?
ans. 5 – अमारी प्रवर्तन, साधर्मिक भक्ति, क्षमापना, अट्ठम तप, चैत्य परिपाटी
72. श्रावक के वार्षिक कर्तव्य कितने हे ? कौन से ?
ans. 11 – संघ पूजा, साधर्मिक भक्ति, यात्रा त्रिक, स्नात्र पूजा, देव द्रव्य वृद्धि, महा पूजा, धर्म जागरण, श्रुत पूजा, उपधान, तीर्थ प्रभावना, प्रायश्चित
73. कल्पसूत्र की प्रथम वाचना कहा प्रारंभ हुई थी ?
ans. आनंदपुर
74. श्रावक के 11 कर्तव्यों में से सब से मुख्य कौन सा हे ?
ans. प्रायश्चित (आलोचना)
75. श्रावक का गुणस्थान कौन सा हे ? नाम ?
ans. 5 – देशविरति गुणस्थान
76. कल्पसूत्र में किसकी तरह अट्ठम तप करने को कहा गया हे ?
ans. नागकेतु
77. अमारी प्रवर्तन का पालन किस राजा के जैसे करना चाहिए ?
ans. कुमारपाल
78. उपवास कर के भी साधर्मिक भक्ति का लाभ कौन लेते थे ?
ans. पुणीया श्रावक
79. गंगा नदी पार करते समय देव द्वारा उपसर्ग से शरीर के गिरते खून से अपकाय जीव की विराधना देख कर कांप उठे और केवलज्ञान प्राप्त हुआ – वो कौन ?
ans. अरणिकापुत्र आचार्य
80. श्री हिरसूरीश्वरजी की प्रेरणा से किसने अपने राज्य में अमारी का पालन करवाया ?
ans. अकबर
81. किस राजा के जैसी क्षमापना करनी चाहिए जिसने जीता हुआ राज्य भी लौटा दिया ?
ans. उदयन नरेश
82. कल्पसूत्र कौन सी भाषा में हे ?
ans. अर्धमागधी
83. कल्पसूत्र में कितने अधिकार हे – कौन से ?
ans. 3 – तीर्थंकर चरित्र, स्थविरावली, साधु सामाचारी
84. कल्पसूत्र में कुल कितने श्लोक हे ?
ans. 1215
85. कौन से राजा के समय कल्पसूत्र  सर्व संघ के समक्ष पढ़ा गया ?
ans. ध्रुवसेन
86. कल्पसूत्र कौन से आगम का आठवा अध्ययन हे ?
ans. दशाश्रुतस्कंध
87. शुद्ध मन वचन काय से कल्पसूत्र कितनी बार सुनने से मोक्ष मिलता हे ?
ans. 21
88. वर्तमान में किनके द्वारा हिंदी भाषा में अनुवादित कल्पसूत्र का वांचन होता हे ?
ans. महोपाध्याय विनयविजयजी
89. कौन कौन से तीर्थंकर के आचार समान होते हे ?
ans. पहले और चोविसवे तीर्थंकर के और 2 से 23 वे तीर्थंकर के
90. कल्प का मतलब क्या ?
ans. आचार
91. कल्प कितने होते हे ?
ans. 10
92. प्रथम तीर्थंकर के साधु कैसे थे ?
ans. रुजू और जड़
93. अंतिम तीर्थंकर के साधु कैसे थे ?
ans. वक्र और जड़
94. 2 से 23 तीर्थंकर के साधू कैसे थे ?
ans. रुजू और प्राज्ञ
95. महाविदेह के साधु कैसे होते हे ?
ans. रुजू और प्राज्ञ
96. 10 कल्प के नाम ?
ans. अचेलक, उद्देशिक, शय्यातर, राजपिंड, कृतिकर्म, व्रत, जयेष्ठ, प्रतिक्रमण, मासकल्प, पर्युषण
97. 2 से 23 वे तीर्थंकर के साधु कैसे वस्त्र धारण करते हे और क्यों ?
ans. विविध रंगो के मूल्यवान वस्त्र क्युकी रुजू और प्राज्ञ होने से उन्हें वस्त्रो की मूर्च्छा – आसक्ति नहीं होती
98. साल में २ बार श्री संघ समक्ष शाश्वती आराधना में पढ़ा जाने वाला ग्रंथ ?
ans. श्रीपाल राजा का रास
99. कौन सा ग्रन्थ श्री सीमंधर स्वामी की देशना हे ?
ans. उपमितिभव प्रपंचा
100. पूज्य धनेशसूरीश्वरजी ने पालिताना पर लिखा हुआ ग्रन्थ ?
ans. शत्रुंजय माहात्म्य
101. वर्तमान में क्या खाना और क्या ना खाना  इस विषय पर प्रसिद्द किताब कौन सी हे ?
ans. रिसर्च ओन डाइनिंग टेबल
102. कौन सी नई नवेली दुल्हन को 22 साल का विरह सहना पड़ा ?
ans. सती अंजना
103. हरिभद्रसूरिजी का गुस्सा जिस 9 भव की वैर परंपरा के किरदार के नाम सुनने से शांत हुआ वो पुस्तक का नाम ?
ans. समरादित्य
104. किस ग्रंथ में 36000 सवाल और जवाब हे ?
ans. श्री भगवती सूत्र
105. अपनी हर पुस्तक के अंत में “याकिनी महत्तरा सुनु” लिखने वाले महात्मा कौन ?
ans. श्री हरिभद्रसूरिजी
107. जीवो के बारे में विस्तृत रूप से वर्णन किस ग्रंथ में किया गया हे ?
ans. जीव विचार
108. 100 गाथा का कौन सा पुस्तक वैराग्य का बोध देता हे ?
ans. वैराग्य शतक
109. राजदरबार में जाते समय पेथडशा घोड़े पर कौन सा पुस्तक पढ़ते थे ?
ans. उपदेशमाला
110. 12 भावना पे विनयविजयजी द्वारा रचित ग्रंथ का नाम ?
ans. शांत सुधारस
111. सिद्ध हेम शब्दानुशासन ग्रंथ के रचयिता कौन ?
ans. हेमचन्द्राचार्य जी
112. द्रष्टिवाद पूर्व का कुछ अंश किस ग्रंथ में आता हे ?
ans. कर्मग्रंथ
113. जैन भूगोल के ग्रंथ कौन से ?
ans. लघु संग्रहणी और बृहद संग्रहणी
114. प्रभु वीर ने किस श्राविका को धर्मलाभ कहलवाया ?
ans. सुलसा
115. पिताजी के मुख से चले जाओ शब्द सुनते ही किसे वैराग्य हुआ ?
ans. अभयकुमार
116. दशवैकालिक सूत्र की रचना किसने की ?
ans. शय्यंभव सूरिजी
117. नयसार जिस राज्य में रहते थे वहा का राजा कौन ?
ans. शत्रु मर्दन राजा
118. निर्दोष बिजोरापाक के लिए प्रभु वीर ने किसे याद किया ?
ans. रेवती श्राविका
119. प्रभु वीर के प्रथम मासक्षमण का पारणा करवाने का लाभ किसे मिला ?
ans. विजय शेठ
120. प्रभु वीर के कान से खिले निकालने का कार्य किसने किया ?
ans. खरक वैध
121. प्रभु वीर जब से त्रिशला माता की कुक्षी में आये तब से राज्य में धन धान्य की वृद्धि करवाने का कार्य किसने किया ?
ans. तिर्यंजृम्भक देव
122. हम तीनो प्रभु वीर को मिले फिर ही अभवी ही रहे – कौन ?
ans. संगम देव, कालसौरिक कसाई, कपिला दासी
123. वर्षीदान के समय कौन प्रभु वीर को थकान ना हो इसका ध्यान रखता था ?
ans. सौधर्म इंद्र
124. प्रभु वीर जिस दिशा में हो वहा सात कदम चल के सोने के अक्षत से साथिया कर के ही नवकारशी करने वाले कौन ?
ans. श्रेणिक राजा
125. श्रेणिक राजा को प्रभु वीर से मिलाकर धर्म में जोड़ने वाले कौन ?
ans. अनाथी मुनि
126. भरत क्षेत्र के लोगो के लिए मोक्ष का द्वार किसने बंध किया ?
ans. जम्बू स्वामी
127. नरकगति में जानेवाला था लेकिन वीर को मिल के आठवे देवलोक में पहुंच गया – कौन ?
ans. चंडकौशिक सर्प
128. प्रभु वीर के 14000 साधु में सब से उत्कृष्ट तपस्वी कौन ?
ans. धन्ना अणगार
129. प्रभु वीर का गर्भ  परिवर्तन किसने किया ?
ans. हरीणगमेषी देव
130. प्रभु वीर ने दीक्षा लेने के बाद प्रथम पारणा मेरे घर किया ?
ans. बाहुल ब्राह्मण
131. दीक्षा के बाद प्रभु वीर को निंद्रा में आये स्वप्न का फल किसने बताया ?
ans. उत्पल निमितिया और सिद्धार्थ व्यंतर
132. प्रभु वीर के शासन में श्रुत लेखन का प्रारम्भ किसने किया ?
ans. देवर्धिगणी क्षमाश्रमण
133. प्रभु वीर के पास से देव दूष्य की मांग मेने की ?
ans. सोमदेव ब्राह्मण
134. मोक्ष प्राप्ति के 2 उपाय कौन से ?
ans. ज्ञान ,क्रिया
135. धर्म के 2 प्रकार कौन से ?
ans. श्रुत धर्म, चारित्र धर्म
137. एक दोष, जिसकी वजह से १४ पूर्वीधर भी निगोद की यात्रा कर लेते हे ?
ans. प्रमाद
138. एक कर्म जो जीवन में सिर्फ एक बार ही बंधता हे ?
ans. आयुष्य
140. रसपरित्याग तप किसने किया ?
ans. सुंदरी
141. कायोत्सर्ग तप किसने किया ?
ans. गजसुकुमाल मुनि
142. महाविदेह में सदा कौन सा आरा रहता हे ?
ans. 4 था
143. केवली समुद्घात कितने समय का होता हे ?
ans. 8
144. इन्द्रिय संलीनता तप किसने किया ?
ans. चंडकौशिक
145. जातिस्मरण ज्ञान किसका भेद हे ?
ans. धारणा श्रुतनिश्रित मतिज्ञान का
146. स्वाध्याय तप किसने किया ?
ans. माषतुष मुनि
147. किस सूत्र में गुणस्थानक का नाम जीवस्थान हे ?
ans. समवायांग सूत्र
148. कौन से आचार्य ने अष्ट प्रकरण में सामायिक के लक्षण बताये हे ?
ans. आचार्य हरिभद्रसूरिजी
149. स्थानांग सूत्र में प्रतिक्रमण के कितने निर्देश दिए हे ?
ans. 6
150. मोक्ष का परिक्षेत्र कितने योजन का हे ?
ans. 14230249 योजन
151. चरवला कितने अंगुल प्रमाण होता हे ?
ans. 32 अंगुल
152. वंदन करने से कौन से कर्म का क्षय होता हे ?
ans. नीच गौत्र
153. जिस तप में मानसिक साधना की प्रधानता होती हे उसे क्या कहते हे ?
ans. अभ्यंतर तप
154. सेवा रूप वैयावच्च के कितने भेद हे ?
ans. 10
155. अव्यक्तवाद के प्रवर्तक कौन थे ?
ans. आचार्य आषाढ़ के शिष्य
156. गुरु के पास स्वयं विधि पूर्वक पच्चक्खाण लेना क्या कहलाता हे ?
ans. फासियम
157. कर्म दलिको में तीव्र या मंद रस किसमे पैदा होता हे ?
ans. अनुभाग बंध
158. में मेरे पिता की मृत्यु का कारण बना ?
ans. कोणिक
159. आपको पशु की दया आती हे पर मेरी दया नहीं आती – ऐसा किसने कहा ?
ans. राजुल
160. सुख या दुःख कर्म के आधीन हे – किसने कहा ?
ans. मयणा सुंदरी
161. चौद पूर्वधर भी मुझे अंत समय में याद करते हे ?
ans. नवकार
162. अक्षर वाले कपडे पहनने से किसका बंध होता हे ?
ans. ज्ञानवरणीय कर्म
163. आनेवाली चौवीसी में पहले तीर्थंकर कौन बनेंगे ?
ans. श्रेणिक राजा
164. किसके प्रभाव से सर्प धरणेन्द्र बना ?
ans. नवकार
165. मेने अष्टापद पर्वत पर तीर्थंकर नामकर्म उपार्जन किया ?
ans. रावण
166. देव और गुरु श्री हिरसूरीश्वरजी की कृपा से तप करती हु ऐसा किसने कहा ?
ans. चंपा श्राविका
167. समयं मा गोयम पमायए – अर्थ क्या ?
ans. हे गौतम, एक क्षण का भी प्रमाद नहीं करना चाहिए
168. मकोड़े की रक्षा हेतु किसने अपनी चमड़ी काट कर रख दी ?
ans. कुमारपाल
169. में वादी बन के गया और विनयी बन गया ?
ans. गौतम स्वामी

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શ્રી પદ્મપ્રભ ભગવાન

કોસંબીપૂરી રાજિયો, ધર નરપતિ તાય;
પદ્મપ્રભ પ્રભુતામયી, સુસીમા જસ માય.
ત્રીસ લાખ પૂર્વતણું, જિન આયુ પાળી;
ધનુષ્ય અઢીસો દેહડી, સવિ કર્મને ટાળી.
પદ્મલંછન પરમેશ્વરુ એ, જિનપદ પદ્મની સેવ;
પદ્મવિજય કહે કીજીયે, ભવિજન સહુ નિતમેવ.



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શ્રી મુનિસુવ્રત ભગવાનનું ચૈત્યવંદન
મુનિસુવ્રત અપરાજિતથી, રાજગૃહી રહેઠાણ;
વાનર યોનિ રાજવી, સુંદર ગણ ગિર્વાણ.
શ્રાવણ નક્ષત્રે જનમીયા, સુરવર જય જયકાર;
મકર રાશી છદ્મસ્થમાં, મૌન માસ અગીયાર.
ચંપક હેઠે ચાંપીયા એ, જે ઘનઘાતી ચાર;
વીર વડો જગમાં પ્રભુ, શિવપદ એક હજાર.



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શ્રી આદિશ્વર ભગવાન ચૈત્યવંદન
આદિદેવ અલવેસરૂ, વિનીતાનો રાય;
નાભિરાયા કુલમંડણો, મરૂદેવા માય.
પાંચસો ધનુષ્યની દેહડી, પ્રભુજી પરમ દયાલ;
ચોરાશી લાખ પૂર્વનું, જસ આયુ વિશાલ.
વૃષભ લંછન જિન વૃષધરૂ એ, ઉત્તમ ગુણમણીખાણ;
તસ પદ પદ્મ સેવન થકી, લહીએ અવિચલ ઠાણ.

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શ્રી શાંતિનાથ ભગવાનનું ચૈત્યવંદન
શાંતિ જિનેશ્વર સોળમા, અચિરાસુત વંદો;
વિશ્વસેન કુળ નભોમણિ, ભવિજન સુખ કંદો.
મૃગ લંછન જિન આઉખું, લાખ વરસ પ્રમાણ;
હત્થિણાઉર નયરી ઘણી, પ્રભુજી ગુણ મણિ ખાણ.
ચાલીશ ધનુષ્યની દેહડી, સમચોરસ સંઠાણ;
વંદન પદ્મ જ્યું ચંદલો, દીઠે પરમ કલ્યાણ.



શ્રી સુવિધિનાથ ભગવાનનું ચૈત્યવંદન
સુવિધિનાથ નવમા નમું, સુગ્રીવ જસ તાત;
મગર લછંન ચરણે નમું, રામા રૂડી માત.
આયુ બે લાખ પૂર્વતણું, શત ધનુષ્યની કાય;
કાકંદી નગરી ધણી, પ્રણમું પ્રભુ પાય.
ઉત્તમ વિધિ જેહથી લહ્યોએ, તેણે સુવિધિ જિન નામ;
નમતાં તસ પદ પદ્મને, લહિયે શાશ્વત ધામ.



Shree Chandraprabhu Swami Chaityavandan | શ્રી ચંદ્રપ્રભુ સ્વામીનું ચૈત્યવંદન

ચંદ્રપ્રભુ આરાધીએ, દોઢસો ધનુષ્યની કાય;
મહસેન પૃથ્વીપ પુત્ર જશ, રાણી લક્ષ્મણા માય.
જસ આયુ દશ લાખ પૂર્વ, શ્વેત વર્ણનો દેહ;
ચંદ્ર લંછન ચંદ્રપુરી નૃપ, શીતલ ગુણ નમો સ્નેહ.
પૂજિત ઇન્દ્ર નરેન્દ્રથી, રાગદ્વેષ જયકાર,
ગૌતમ નીતિ ગુણ સુરિ કહે, સેવે શિવ દાતાર


Shree Mallinath Bhagwan Chaityavandan | શ્રી મલ્લિનાથ ભગવાનનું ચૈત્યવંદન
મલ્લિનાથ ઓગણીશમાં, જસ મિથિલા નયરી;
પ્રભાવતી જસ માવડી, ટાલે કર્મ વયરી.
તાત શ્રી કુંભ નરેસરૂ, ધનુષ્ય પચવીશની કાય;
લંછન કળશ મંગલકરૂ, નિર્મમ નિરમાય.
વરસ પંચાવન સહસનું એ, જિનવર ઉત્તમ આય;
પદ્મવિજય કહે તેહને, નમતાં શિવસુખ થાય.



Shree Chandraprabhu Swami Chaityavandan | શ્રી ચંદ્રપ્રભુ સ્વામીનું ચૈત્યવંદન

ચંદ્રપ્રભુ આરાધીએ, દોઢસો ધનુષ્યની કાય;
મહસેન પૃથ્વીપ પુત્ર જશ, રાણી લક્ષ્મણા માય.
જસ આયુ દશ લાખ પૂર્વ, શ્વેત વર્ણનો દેહ;
ચંદ્ર લંછન ચંદ્રપુરી નૃપ, શીતલ ગુણ નમો સ્નેહ.
પૂજિત ઇન્દ્ર નરેન્દ્રથી, રાગદ્વેષ જયકાર,
ગૌતમ નીતિ ગુણ સુરિ કહે, સેવે શિવ દાતાર

Shree Neminath Bhagwan Chaityavandan | શ્રી નેમિનાથ ભગવાનનું ચૈત્યવંદન
નેમિનાથ બાવીસમા, શિવાદેવી માય;
સમુદ્રવિજય પૃથ્વીપતિ, જે પ્રભુના તાય.
દશ ધનુષ્યની દેહડી, આયુ વરસ હજાર;
શંખ લંછનધર સ્વામીજી, તજી રાજુલ નાર.
શૌરીપુરી નયરી ભલી એ, બ્રહ્મચારી ભગવાન;
જિન ઉત્તમ પદપદ્મને, નમતાં અવિચલ ઠાણ.


શ્રી પદ્મપ્રભ ભગવાન

કોસંબીપૂરી રાજિયો, ધર નરપતિ તાય;
પદ્મપ્રભ પ્રભુતામયી, સુસીમા જસ માય.
ત્રીસ લાખ પૂર્વતણું, જિન આયુ પાળી;
ધનુષ્ય અઢીસો દેહડી, સવિ કર્મને ટાળી.
પદ્મલંછન પરમેશ્વરુ એ, જિનપદ પદ્મની સેવ;



પદ્મવિજય કહે કીજીયે, ભવિજન સહુ નિતમેવ.


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Shree Vasupujya Swami chaityavandan | શ્રી વાસુપૂજ્ય સ્વામીનું ચૈત્યવંદન
વાસવ-વંદિત વાસુપૂજ્ય, ચંપાપુરી ઠામ;
વાસુપૂજ્ય કુલ ચંદ્રમાં, માતા જયા નામ.
મહિષ લછંન જીન બારમા, સિત્તેર ધનુષ્ય પ્રમાણ;
કાયા આયુ વરસ વલી, બહોંતેર લાખ વખાણ.
સંઘ ચતુર્વિધ થાપીને એ, જિન ઉત્તમ મહારાય;
તસ મુખ પદ્મ વચન સુણી, પરમાનંદી થાય.F


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जय श्री पद्मप्रभ भगवान

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Namo jinanam


શ્રી શાંતિનાથ દાદા




શ્રી જગવલ્લભ પાર્શ્ર્વનાથ દાદા





























Bina Gender Science ke kuchbhi ni tikega Earth pr. Aur ye vaishya vratti kisne chalu ki - Pese based control of girl by father. History of Prajapati Daksh and Sati death should be revised by all Intelects of India. Middle class whole means money at the end. Meri Bhua tum sab kutto ki wajah se be aulad hai. Uski baddua har ek haramkhor ke liye rahegi - Wo aur phufaji (bahut ache hai) 12 jyotirling darshan kiye dil se. Unki vidhya ka upyog kiya Mahakal baba ki kripa se aur Nemawar ke Maharaji se..


Core belief of #Jainism:  The goal of Jainism is liberation of the #soul from the negative effects of unenlightened thoughts, speech, and action.   This goal is achieved through clearance of #karmic obstructions by following the triple gems of Jainism.




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नवकार महामंत्र का विराट स्वरुप-5











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