ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

जैन धर्मं में मनुष्य जीवन को पाप पुण्य के अनुसार फल मिलते है ऐसा बताया गया है

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जैन धर्मं में मनुष्य जीवन को पाप पुण्य के अनुसार फल मिलते है ऐसा बताया गया है, अगर पुण्य अर्जित की तो उसके उदय से सुख और पाप किया तो उसके उदय से दुःख ही मिलता है। शास्त्रों में पुण्य ही पुण्य कमाने के कुछ सरल तरीके बताये है।

५५०० सौनेया खर्चकर जीवभिगम, पन्नवणा, भगवती सूत्र आदि लिखने से जितना पुण्य होता है उतना पुण्य किसी को मुह्पत्ति देने से होता है

५५०० गर्भवती गायों को अभयदान देने से जो पुण्य होता है, यह एक मुह्पत्ति देने वाले को होता है।

२५००० शिखर युक्त जिनालयों के निर्माण करवाने से जितना पुण्य होता है, उतना पुण्य एक चरवाला देने से होता है।

मासक्षमण की तपस्या अथवा जीवदय हेतु 1 करोड़ पिंजरे निर्माण करने के सामान पुण्य एक आसन (बैठका) देने से होता है।

८४००० दानशालाओं को बंधवाने से जितना पुण्य होता है उतना पुण्य गुरु को द्वादशावर्त वंदन करने से होता है।

पांच सो धनुष प्रमाण वाली २८००० प्रतिमा भरवाने से जो पुण्य होता है उतना पुण्य एक इर्यावाहिया करने से मिलता है।

१०,००० गायों का एक गोकुल कहलाता हे, ऐसे १०००० गोकुलों के गायों को दान में देने से जो पुण्य मिलता है उतना पुण्य प्रतिक्रमण का उपदेश देने से मिलता हैं। (प्रबोध टीका)

मणिजडित स्वर्ण की सीढी युक्त, १००० स्तम्भ युक्त ऊँचा, स्वर्ण के तल वाला श्री जिनमंदिर का निर्माण करवाने से जितना पुण्य होता है उतना पुण्य तप सहित एक पौषध करने से मिलता है।

कोई व्यक्ति २० लाख करोड़ सोने का दान करे, उससे भी अधिक फल एक सामायिक करने से मिलता हे

दिवाली का छठ करने से एक लाख करोड़ उपवास का फल मिलता है।

मौन एकादशी का उपवास करने से १५० उपवास का फल मिलता है।थाली धोकर पीने एवं मंदिर का कचरा निकालने से आयम्बिल का लाभ मिलता है।

एक करोड़ सोना मुहर दान करने से या ७ मंजिल का सोने का मंदिर बनवाने से भी अधिक लाभ एक दिन का ब्रह्मचर्य पालन से मिलता है।

जिनमन्दिर की ध्वजा चडाने वाले की १०१ पीढ़ी नरक में नहीं जाती है।


BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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