ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

श्री माणिभद्र वीर का इतना "सौम्य" स्वरुप और कहीं नहीं है.

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श्री माणिभद्र वीर का इतना "सौम्य" स्वरुप और कहीं नहीं है. 
(जैसा दिख रहा है, उससे भी अधिक सौम्य और सुन्दर है). 

मूर्ति के नीचे काला भैरव और गौरा भैरव भी दिख रहे हैं
जिनसे उन्हें जिन-शासन की सेवा के लिए युद्ध करना पड़ा था.

(दोनों भैरव शक्ति को समझाने के बावजूद भी
उन्हें उनसे युद्ध करना पड़ा
क्योंकि भैरवों ने कहा की हम तो मंत्र शक्ति से बंधे हैं,
इसलिए आप से युद्ध करना ही पड़ेगा).

विशेष:
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अब भी किसी को "मन्त्रों" का प्रभाव समझ में नहीं आये
तो ये उनका "दुर्भाग्य" है.

कई बार जो "चीजें" हमें सुलभ होती हैं,
उन्ही की हम क़द्र नहीं करते.

स्थल:
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श्री सूरजमंडन पार्श्वनाथ, सोमेश्वरा, वेसु के पास, सूरत.

BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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