पाँचवे तीर्थंकर सुमतिनाथ भगवान चैत्यवंदन/स्तुति
सुमतिनाथ सुहुंकरु, कोसल्ला जस नयरी;
मेघराय मंगला तणो, नंदन जितवयरी:
क्रौंच लंछन जिन राजियो, त्रणशे धनुषनि देह;
चालीस लाख पुरवताणु, आयु अति गुणगेह:
सुमति गुणे करी जे भर्या ए, तर्या संसार अगाध;
तस पदपद्म सेवा थकी, लहो सुख अव्याबाध.
स्तुति
सुमति सुमतिदायी, मंगला जास माई,
मेरुने वली राई, और एहने तुलाई।
क्षय कीधां घाई, केवलज्ञान पाई,
नहीं उणीम् कांई, सेवीए ते सदाई।।
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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