सम्प्रति महाराजा निर्मित - मूलनायक श्री महावीर स्वामी - खिवांदी तीर्थ ( क्षमानंदी तीर्थ ) राजस्थान
● खिवांदी का सौभाग्य ●
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🔹खिवांदी में श्री महावीरस्वामी भगवान का ऐतिहासिक जिनालय अत्यंत भव्य और मनोहारी है. जैन श्रावकों की गौरवशाली श्रद्धा-भक्ति और अनूठी धर्म-भावना की यह कहानी कहता है.
🔹करीब 250 वर्ष पूर्व, इस जिनालय के निर्माण के लिए खुदाई का काम चल रहा था. तभी ज़मीन में से नयनरम्य-भव्य 13 जिनप्रतिमाएं प्राप्त हुईं. इतना ही नहीं, बड़ी मात्रा में संगमरमर का पत्थर भी यहां से निकला. सभी अखंडित प्रतिमाओं में मूलनायक श्री महावीर प्रभु की मूर्ति तो सम्राट् सम्प्रतिकालीन अर्थात् करीब 2200 वर्ष पुरानी है.
🔹इस प्राचीन धरोहर को देखकर अर्हत् धर्म के पवित्र संस्कारों पर नाज़ होता है.
🔹इस तरह भगवान और जिनमंदिर के लिए पत्थर मिल जाना महान् सौभाग्य से कम नहीं है. लेकिन उस प्राप्त सौभाग्य का जतन करना भी उतना ही आवश्यक है !
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🔹खिवांदी में श्री महावीरस्वामी भगवान का ऐतिहासिक जिनालय अत्यंत भव्य और मनोहारी है. जैन श्रावकों की गौरवशाली श्रद्धा-भक्ति और अनूठी धर्म-भावना की यह कहानी कहता है.
🔹करीब 250 वर्ष पूर्व, इस जिनालय के निर्माण के लिए खुदाई का काम चल रहा था. तभी ज़मीन में से नयनरम्य-भव्य 13 जिनप्रतिमाएं प्राप्त हुईं. इतना ही नहीं, बड़ी मात्रा में संगमरमर का पत्थर भी यहां से निकला. सभी अखंडित प्रतिमाओं में मूलनायक श्री महावीर प्रभु की मूर्ति तो सम्राट् सम्प्रतिकालीन अर्थात् करीब 2200 वर्ष पुरानी है.
🔹इस प्राचीन धरोहर को देखकर अर्हत् धर्म के पवित्र संस्कारों पर नाज़ होता है.
🔹इस तरह भगवान और जिनमंदिर के लिए पत्थर मिल जाना महान् सौभाग्य से कम नहीं है. लेकिन उस प्राप्त सौभाग्य का जतन करना भी उतना ही आवश्यक है !
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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