ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

Suvidhinath Bhagvan , Siyana Tirth Rajasthan

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सुविधि जिणेसर पाय नमीने
शूभ. करणी एम कीजे रे,
अति घणो उलट अंग धरीने
प्रह उठी पूजीजे रे......सुविधि.!

द्रव्य -भाव शुचि-भाव धरीने
हरखे देहरे जइये रे,
दह तिग,पण अहिगम साचवतां
एक मना धुरि थइए रे.....सुविधि..!

कुसुम, अक्षत,वरवास सुगंधि
धूप दीप मन साखी रे,
अंगपुजा पण भेद सुणी इण
गुरूमूख आगम भाखी रे....सुविधि....!

एहनु फल दोय भेद सुणी जे
अनंतर ने परंपर रे,
आणा -पालणा चिन्त प्रसन्ती
मुगति सुगति सुरमंदिर रे...सुविधि...!

फूल अक्षत वर धूप पइवो
गंध नैवेध फल भरी रे,
अंग अग्र पूजा मली अडविध
भावे भविक शुभ गति वरि रे....सुविधि...!

सतर भेद , एकवीस प्रकारे
अष्टोतर शत भेदे रे,
भावपुजा बहुविध निरधारी
दोहग - दुर्गति छेदे रे....सुविधि....!

तुरिय भेद पडिवती पुजा
उपशम खीण सयोगी रे,
चढण पुज् इम 'उतरज्भयणे
भाखी केवल योगी रे...सुविधि...!

सुविधिनाथ प्रभु

BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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