दर्शनं देवदेवस्य, दर्शनं पापनाशनम्|
दर्शनं स्वर्गसोपानं, दर्शनं मोक्षसाधनम्|1|
दर्शनेन जिनेन्द्राणां, साधूनां वंदनेन च|
न चिरं तिष्ठते पापं, छिद्रहस्ते यथोदकम्|2|
वीतरागमुखं द्रष्ट्वा, पद्मरागसमप्रभं|
जन्म-जन्मकृतं पापं दर्शनेन विनश्यति|3|
देव दर्शन पाप का नाश करनेवाला है ।
देवदर्शन स्वर्ग का सोपान है ,स्वर्ग का वैभव देवदर्शन से मिलता है ।।
देव दर्शन के निमित्त में होने वाला शुभ भाव , उस शुभ भाव के निमित्त से बंधा हुआ पुण्यकर्म , शुद्ध भाव से होनेवाली मोक्ष की प्राप्ति !
सब सुख धर्म से ही मिलते है ।
अच्छा फल चाहिये तो धर्म बढ़ाना चाहिये।धर्म सुख को कारण है ।
🙏🌷जय जिनेन्द्र🌷🙏
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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