श्री सीमंधर वंदनावली
तुम भक्ति रुप आ काव्य,
मारुं कवच जे रक्षा करे ।
फरक तेमां कोई नही,
अपार हुं श्रद्धा धरुं ।।
रक्षणहारा नाथ मारी,
अनाथताने निवारजे ।
स्वामी सीमंधर अरज मारी,
वीतरागी बनावी दे {२}.,...३७
विकार हीन तुम नयनो,
मारा नयनमां रमता रहे ।
प़सन्न तारी मुख मुद्रा,
प़सन्न मुज मन करें ।।
प़शांत तारी देह शोभा,
शांति मुजने आपशो ।
स्वामी सीमंधर अरज मारी
वीतरागी बनावी दे {२}....३८
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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