ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

Kachulika Parshwanath-Kacholi-Pindwada-Sirohi-Raj

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*नदी* का पानी *मीठा* होता है क्योंकि
वो पानी *देती* रहती है।
*सागर* का पानी *खारा* होता है क्योंकि
वो हमेशा *लेता* रहता है।
*नाले* का पानी हमेशा *दुर्गंध* देता है क्योंकि 
वो *रूका* हुआ होता है।
*यही जिंदगी है*
*देते रहोगे* तो सबको *मीठे* लगोगे।
*लेते रहोगे* तो *खारे* लगोगे।और
अगर *रुक गये* तो सबको *बेकार* लगोगे।
निष्कर्ष : *सत्कर्म ही जीवन है।*

BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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