ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

काम, क्रोध, लोभ, मोह के विकारों का आवेश मनुष्य को अन्धा कर देता है ।​*


*काम, क्रोध, लोभ, मोह के विकारों का आवेश मनुष्य को अन्धा कर देता है ।​*
*उसका विवेक ठीक काम नहीं करता, उचित-अनुचित, कर्तव्य-अकर्तव्य का उसे ध्यान नहीं रहता और वह उस प्रकार का व्यवहार कर बैठता है जिससे उसे स्वास्थ्य से हाथ धोना पड़ता है, ​समाज में अपयश होता है, दूसरों से सम्बन्ध खराब होते है और वह अविश्वास का पात्र बन जाता है ।​*
*सम्बन्धियों, धन और यश में आसक्ति वाला मनुष्य लेन-देन में पक्ष-पात करता है, चोरी, ठगी और बेईमानी करता है, दूसरों को धोखा देता है, झूठे वादे करता है और चालाकी से काम लेता है ।*
*वह भूल जाता है कि पक्षपात से समाज की व्यवस्था खराब होती है, चोरी और बेईमानी से असुरक्षा और भय की स्थिति पैदा होती है, जिसका प्रभाव स्वयं उसके ऊपर भी पड़ता है ।​*
*झूठ और चालाकी से उसका नैतिक पतन होता है और उस अनीति से जो लाभ होता है वह स्थाई नहीं होता ।*
*जरूर चिन्तन करे ।*

BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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