ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

व्यक्ति की चाल
धन से भी बदलतीहै,
और धर्म से भी बदलती है...!

जब धन संपन्न होता है,
तब अकड़ कर चलता है
और
जब धर्म संपन्न होता है तो
विनम्र होकर चलता है...!!

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.