🕉 नित्य जो प्रभु गुण गाता है
वह शीघ्र मोक्ष फल पाता है
वह शीघ्र मोक्ष फल पाता है
🙏 🙏 🙏
*ज्ञातासी द्रष्टासी परात्मरूपो,*
*अखण्डरूपोसि गुणालयोसि ।*
*जितेंद्रीयस्त्वं त्यज मान मुद्रा ,*
*तू अतींद्रिय प्रत्यक्ष है ।।*
*अखण्डरूपोसि गुणालयोसि ।*
*जितेंद्रीयस्त्वं त्यज मान मुद्रा ,*
*तू अतींद्रिय प्रत्यक्ष है ।।*
परमात्मा का जो अनन्तरूप है वहीं तेरा स्वरुप है । तू अपने स्वरुप को इस दशा में देह और आत्मा भिन्न समझ , वह अखंड है । तू सब गुणों का स्वामी है । तूने सब इन्द्रियों को जीत लिया है । तू शरीर का गर्व छोड़ । वैभव और यौवन पर गर्व मत कर । तू महान है । द्रष्टा है ।
LIKE & COMMENT - https://jintirthdarshan.blogspot.com/
THANKS FOR VISITING.
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.