ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

Shri Shastraphana Parshvnath dada at Gopipura Surat


*धर्म का अर्थ क्या है?*
*क्या मंदिर जाना है?* *तपस्या करना?*
*तिथि पाड़ना?*
*कंदमुल का त्याग*?
*क्या सामयिक, प्रतिक्रमण और यात्रा करना है?*
*असल में इन चीजों का उद्देश्य स्वभाव को बदलना है ..*
*लेकिन अक्सर लोग जीवन भर यह क्रियाऐं करते हैं।*
*लेकिन वे अपने अहंकार को छोड़कर सरल नहीं बन सकते हैं।*
*क्रोध या जुनून छोड़कर विनम्र नहीं बन सकते है।*
*ईर्ष्या छोड़कर उदार नहीं हो सकते*
*जब तक कि व्यक्ति अपनी आत्मा को बदलने के लिए दृढ़ निश्चय नहीं करता है, तब तक कठोर सच्चाई यह है कि कोई भी भगवान, गुरु या धर्म कुछ भी भला नहीं कर सकते।*
*महावीर, जैसे सर्व शक्तिशाली जमाली, गोशालक या संगमदेव को भी नहीं बदल सके।*
*इसलिए सबसे पहले अपनेआप को बदलो*
*स्वभाव बदलो*
*और भाव बदलों ..*
*तभी भव बदलेगा*
*परिणाम तभी मिलेगा*
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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